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मनमानी : अतिरिक्त कर खत्म, दुकानदारों की हो गई है चांदी, किसान परेशान

शासन की ओर से उर्वरक पर अतिरिक्त कर खत्म होने के बाद भी किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। किसान अभी भी परेशान हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 10:04 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 05:02 PM (IST)
मनमानी : अतिरिक्त कर खत्म, दुकानदारों की हो गई है चांदी, किसान परेशान
मनमानी : अतिरिक्त कर खत्म, दुकानदारों की हो गई है चांदी, किसान परेशान

वाराणसी, जेएनएन। शासन की ओर से उर्वरक पर अतिरिक्त कर खत्म होने के बाद भी किसानों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है। सहकारी समितियों और निजी दुकानदारों की चांदी हो गई है। वे पुराने रेट पर उर्वरक बेच रहे हैं। किसानों के विरोध करने पर वे उर्वरक देने को तैयार नहीं है, मजबूरन किसानों को ऊंचे दामों पर उर्वरक खरीदना पड़ रहा है। 45 किलोग्राम उर्वरक का रेट 266.50 रुपये और 50 किलोग्राम उर्वरक का रेट 295 रुपये निर्धारित किया गया है जबकि किसानों को 320 से 330 रुपये प्रतिबोरी उर्वरक मिल रहा है। वहीं, कृषि विभाग का दावा है कि जिले में किसानों को कर कम करके उर्वरक दिया जा रहा है। अधिक रेट पर उर्वरक बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसानों को राहत पहुंचाने के लिए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने 10 जनवरी को प्रदेश में उर्वरक पर लगने वाले अतिरिक्त कर (एसीटीएन) को खत्म कर दिया है। 12 जनवरी से इस आदेश को प्रभावी करते हुए कम रेट पर उर्वरक बेचने का आदेश हुआ लेकिन इसका असर जिले में कहीं भी दिखाई नहीं पड़ रहा है। सहकारी समितियों और प्राईवेट दुकानदार पुराने रेट पर उर्वरक बेच रहे हैं। चोलापुर क्षेत्र के किसान नागेंद्र सिंह, विजय चौहान का कहना है कि कुछ सोसायटी पर 295 रुपये में उर्वरक मिल रहा है जबकि ज्यादातर 300 रुपये से अधिक रेट पर बेच रहे हैं। राजातालाब के सुनील मिश्रा का कहना है कि 45 और 50 किलोग्राम उर्वरक की बोरी 330 रुपये में मिल रहा है। कर खत्म होने पर 45 किलोग्राम उर्वरक का रेट 266.50 रुपये और 50 किलोग्राम का रेट 295 रुपये निर्धारित किया गया है। इससे अधिक सहकारी समितियों या प्राइवेट दुकानदारों लिया जा रहा है तो किसान स्थानीय कार्यालय में शिकायत करने के साथ मुझे अवगत कराएं। ब्लाक अधिकारियों को क्षेत्र में चक्रमण कर रेट देखने को कहा गया है। अधिक मिलने पर संबंधित के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराएं। -सुभाष मौर्या, जिला कृषि अधिकारी

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