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बिहार बार्डर पर इंट्री के बाद ही शवदाह के लिए गाजीपुर में प्रवेश, रजिस्टर में अंकित कराने के साथ ही सत्यापन भी

गंगा नदी में शव मिलने की घटना को लेकरगाजीपुर पुलिस प्रशासन एक्टिव मोड़ में आ गया है। पुलिस नाव से नदी में पेट्रोलिंग करने के साथ अन्य एहतियात बरत रही है। सड़क मार्ग से जनपद में प्रवेश करने वाले सभी मार्ग पर पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 09:16 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 09:16 PM (IST)
जिलाधिकारी के निर्देश पर बिहार से आने वाले शवों की रजिस्टर पर इंट्री के बाद प्रवेश दिया जा रहा है

गाजीपुर, जेएनएन। गंगा नदी में शव मिलने के बाद जिलाधिकारी एमपी सिंह के निर्देश पर बिहार से आने वाले शवों की बकायदा रजिस्टर पर इंट्री के बाद ही जिले में प्रवेश करने दिया जा रहा है। जांच-पड़ताल के लिए बिहार बार्डर से सटे करमहरी, ढेहुढ़ी सहित एनएच 24 पर बरूईन व तलाशपुर मोड़ के पास पुलिस पिकेट लगवाया गया है। गुरुवार करीब दो दर्जन लोगों की जानकारी लिखी गई कि वह किस घाट पर शवदाह करेंगे। वहां का सत्यापन भी कराया गया।

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गंगा नदी में शव मिलने की घटना को लेकर पुलिस प्रशासन एक्टिव मोड़ में आ गया है। पुलिस नाव से नदी में पेट्रोलिंग करने के साथ अन्य एहतियात बरत रही है। सड़क मार्ग से जनपद में प्रवेश करने वाले सभी मार्ग पर पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है। स्टेशन बाजार स्थित बरूईन गांव के पास तलाशपुर मोड़ सहित बिहार बॉर्डर से सटे ढेवढी व करमहरी गांव के पास बैरियर लगाया गया है। जहां कोतवाली पुलिस कमान संभाले हुए है। इस संबंध में कोतवाल रवीन्द्र भूषण मौर्य ने बताया कि क्षेत्र सहित बिहार के कैमुर जनपद से दाह संस्कार के लिए आने वाले शवों को रोक कर पुलिस कर्मियों द्वारा शव को जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। गंगा में प्रवाहित करने वाले शवों को रोक दिया जा रहा है।

बदहाली का शिकार अंत्येष्टि स्थल पर शवदाह बंद

जमानियां ब्लाक के बड़ेसर गांव के चक्का बांध स्थित गंगा नदी के तट पर छह वर्ष पूर्व लगभग 25 लाख रुपये की लागत से बना अंत्येष्टि स्थल बदहाली का शिकार हो गया। इस कारण क्षेत्र सहित पड़ोसी जनपद चंदौली गांव के लोग यहां के बजाय शव के अंतिम संस्कार के लिए दैत्रवीर बाबा और बलुआ घाट पर जाते हैं। जनप्रतिनिधि सहित उच्चधिकारियों से ग्रामीण कई बार गुहार भी लगा चुके हैं फिर भी इसका स्वरूप आज तक नहीं बदला। पांच साल से यहां शवों का अंतिम संस्कार होना बंद हो गया है। क्षेत्र के चक्का बांध, लमुई, बरुईन, असैचनपुर, गायघाट, देहुड़ी सहित अन्य गांव के अलावा पड़ोसी जनपद चंदौली के कजहरा, ककरैत, ढेड़गांवा, जलालपुर गांव के लोग पश्चिमी छोर पर शवों का दाह संस्कार करते थे। जब तक चिता पूरी तरह से नहीं जल जाती थी तब तक नदी के किनारे लोग बैठे रहते थे। पूर्ववर्ती सरकार में ग्राम सभा की ओर से चक्का बांध के पश्चिम तरफ अंत्येष्टि स्थल का निर्माण लाखों रुपये की लागत से कराया गया।

शवों को जलाने के लिए बना चबूतरा तथा छह शौचालय और बरसात में शव को जलाने के लिए टीन शेड के दो हाल का निर्माण कराया गया है, जो वर्तमान समय में पूरी तरह बदहाल है। हाल के टीन शेड उखड़ गए हैं। बाउंड्रीवाल टूट कर गिर गया है। शौचालय की स्थिति बद से बदतर है। सबसे अहम बात यह है कि अंत्येष्टि स्थल को जाने के लिए सड़क का निर्माण नहीं कराया गया है, न ही गंगा नदी में उतरने के लिए सीढ़ी का निर्माण कराया गया है। इससे भी लोग यहां आने से कतराते हैं। वहीं ग्रामीण भी अंत्येष्टि स्थल के हाल व अगल बगल शौच कर दिए हैं। ग्रामीण सुनील गिरी, विवेक तिवारी, प्रदुम्न गिरी, गौरीशंकर तिवारी आदि का कहना है कि अगर अंत्येष्टि स्थल का बदहाल स्वरूप बदल जाए तो काफी सहूलयित होगी। इधर, तहसीलदार घनश्याम ने बताया कि अंत्येष्टि स्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा।


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