सोनभद्र में हाथियों ने रौंद दी गृहस्थी, दो वर्षों से मुआवजे की लगा रहे टकटकी
सोनभद्र में इन साल भी हाथियों का आगमन हो रहा है। इससे एक बच्ची की मौत हो गई तो काफी फसल नष्ट हो चुका है। वहीं गत वर्ष बभनी में हाथियों ने एक व्यक्ति को उठाकर पटक दिया और मौत हो गई लेकिन अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला।
सोनभद्र, जेएनएन। छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे जिले के बभनी थाना क्षेत्र में स्थित डूमरहर गांव निवासी राजेंद्र गोंड़ को हाथियों ने 11 नवंबर 2019 को उठाकर पटक दिया और मौत हो गई। घटना के बाद राज्य आपदा के तहत चार लाख रुपये स्वजनों को मिल गए, लेकिन वन विभाग से मिलने वाला एक लाख रुपये आज तक नहीं मिला। विभागीय अधिकारी बजट आने का इंतजार कर रहे हैं। उसी समय इलाके के 15 किसानों की फसलों को भी हाथियों ने नुकसान पहुंचाया था, उन्हें भी मुआवजा नहीं मिला।
फाइलों के चक्कर में लटका मुआवजा
फाइलों के यहां से वहां चक्कर काटने के कारण लटके मुआवजे के मामले में सही जानकारी न तो वन विभाग के अधिकारी ही दे पाते हैं और न ही उस इलाके के राजस्व कर्मी ही। क्षेत्र के लोगों की मानें तो छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से यह इलाका सटा होने के कारण हर वर्ष हाथियों का झुंड आता है। कभी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं तो कभी आशियाने पर धावा बोलते हैं। गत पांच वर्षों में तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। मौत के मामले में तो वन विभाग कई बार प्रयास करके कुछ हद तक मुआवजा दिला देता है, लेकिन फसलों के नुकसान आदि के मामले में सबकी चुप्पी ही रहती है। यहीं वजह है कि दो वर्षों से किसी भी किसान को एक रुपये का मुआवजा नहीं मिला है। जबकि करीब 15 लोगों ने आवेदन भी किया।
सुनैना के परिजनों को जल्द मिलेगा मुआवजा
इस संबंध में डीएफओ रेणुकूट एमपी ङ्क्षसह ने कहा कि मुआवजा जिनका पेंङ्क्षडग है उन्हें दिलाने के लिए जरूरी कार्यवाही करने के लिए संबंधित रेंजर को कहा गया है। फसलों के नुकसान के मामले में जो भी कागजी कार्यवाही है उसे एक सप्ताह के भीतर पूर्ण करने के लिए कहा गया है। करीब चार साल पहले म्योरपुर क्षेत्र में हुई मौत के मामले में पांच लाख रुपये मिल चुका है। बभनी वाले मामले में एक लाख रुपये बजट आने पर दिया जाएगा। नेमना में मृतका सुनैना के स्वजनों को तीन-चार दिन के भीतर चार लाख रुपये दे दिए जाएंगे।
तमोर पिंगला से आता है हाथियों का झुंड
छत्तीसगढ़ के तमोर पिंगला में हाथियों का सुरक्षित क्षेत्र है। वहां सैकड़ों की संख्या में हाथियां हैं। वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि हाथियों का झुंड अक्सर वहीं से आता है। वह झुंड में होते हैं, इसलिए उन्हें जल्दी वापस भेजना भी मुश्किला होता है। हाथियों का उत्पात बभनी, बीजपुर इलाके में अधिक रहता है।
क्या है मुआवजा मिलने का नियम
डीएफओ रेणुकूट एमपी सिंह बताते हैं कि मुआवजा मिलने के लिए सभी दशाओं में अलग-अलग नियम है। अगर कोई व्यक्ति जंगल में गया है या वन्य जीव क्षेत्र में गया है और वहां पर जंगली जानवर हमला करते हैं तो कोई मुआवजा नहीं बनता। अगर रिहायशी इलाके में जंगली जानवर के हमले से मौत होती है तो पांच लाख रुपये देय होता है। इसमें इसे आपदा माना गया है, लिहाजा चार लाख रुपये तो चार-छह दिन के अंदर ही मिल जाते हैं। शेष एक लाख रुपये वन विभाग से बजट आने पर मिलता है। घायल होने की दशा में अलग-अलग दर होती है। इसमें 25 हजार से शुरुआत होती है। फसलों के नुकसान के मामले में कृषि विभाग की रिपोर्ट जरूरी होती है। नुकसान के आकलन के आधार पर मुआवजा दिया जाता है।
हाथियों के खौफ से ग्रामीण कर रहे रतजगा
मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की सीमाओं से सटे तीन दर्जन से ज्यादा गांवों के लिए गत कई वर्षों से हाथियों का झुंड परेशानी का सबब बना हुआ है। हाथियों के दहशत के कारण ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं। प्रतिवर्ष धान एवं मक्के की फसल तैयार होने के समय छत्तीसगढ़ के वन्य जीवन अभयारण्य तैमूर ङ्क्षपगला से आने वाले हाथियों द्वारा अपनी भूख मिटाने के लिए किसानों की फसलों को क्षति पहुंचाने के बाद घर में रखे अनाज को खाकर तोड़-फोड़ भी किया जाता रहा है। गत वर्ष सबसे ज्यादा क्षति उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित गोभा, कोड़ार, डुमरचुआ, सवारीडाड़, नवाटोला आदि स्थानों पर पहुंचाया गया था। वहीं नवंबर माह में ही बीजपुर क्षेत्र में 13 हाथियों के झुंड में से एक हाथी के बच्चे की मौत रिहंद डैम के किनारे हो गई थी। इससे ग्राम डुमरचुआ में हाथियों का झुंड एक पखवारे तक आतंक मचाता रहा। हाथियों को भगाने के लिए वन विभाग द्वारा बंगाल एवं झारखंड से एक्सपर्ट की टीम बुलाकर हाथियों को छत्तीसगढ़ के जंगल की ओर भेजा गया। किसान मुखलाल, शंकर बैगा, फूल शाह, ख्याली ङ्क्षसह, मानशाह, दयाराम, रामेश्वर, दशरथ, रामअजोर, जगत पाल, रामजी, राम मनोहर आदि ने कहा कि हाथियों द्वारा की गई क्षति का मुआवजा उन्हें नहीं मिला है।
वन क्षेत्राधिकारी मोहम्मद जहीर मिर्जा ने कहा कि हाथी वापस छत्तीसगढ़ जा चुके हैं। अब पुन: न आने पाएं इसलिए पूरी टीम मशाल, डीजे, लाउडस्पीकर आदि के साथ सीमा पर तैनात है। नुकसान की रिपोर्ट डीएफओ को भेजी गई है। राजस्व विभाग से भी बात हो रही है।