अब 160 की स्पीड से दौड़ सकेंगे विद्युत रेल इंजन, हाई स्पीड इंजन का होगा परीक्षण
चित्तरंजन लोकोमोटिव कार्यशाला आसनसोल ने आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले सामान्य विद्युत इंजन को 160 किमी प्रतिघंटे की गति से दौड़ने योग्य बना दिया है।
वाराणसी, जेएनएन। चित्तरंजन लोकोमोटिव कार्यशाला आसनसोल ने आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले सामान्य विद्युत इंजन को 160 किमी प्रतिघंटे की गति से दौड़ने योग्य बना दिया है। विद्युत इंजन डब्ल्यूएपी-7 में तकनीकी बदलाव कर उसने डब्ल्यूएपी-7 एचएस नाम दिया है। वर्तमान में डब्ल्यूएपी-7 श्रेणी के इंजन अधिकतम 140 प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ रहे हैं। तकनीकी परिवर्तन के बाद इनकी रफ्तार 160 किमी प्रतिघंटे हो जाएगी। हाई स्पीड इंजन परीक्षण के लिए उत्तर रेलवे के गाजियाबाद शेड में भेजा गया है। वहीं डीजल रेल कारखाना (डीरेका) में भी इस तरह के इंजन को हाईस्पीड में परिवर्तित करने के लिए कुशल तकनीकी टीम और उपकरण हैं। रेलवे बोर्ड से निर्देश मिलते ही हाईस्पीड इंजन का निर्माण शुरू हो जाएगा। हालांकि इससे पहले ही डीजल रेल इंजन कारखाना प्रशासन अपनी तैयारी शुरू करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इस दिशा में तकनीकी स्तर पर भी मंथन का दौर जारी है।
-14 टन हल्का होगा हाईस्पीड इंजन विद्युत इंजन के डब्ल्यूएपी-7 श्रेणी के इंजन को हाईस्पीड बनाने के लिए इसका वजन 14 मीट्रिक टन तक कम किया गया। इसके अलावा गियर के अनुपात में भी आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। इसके साथ इस इंजन की स्पीड की निगरानी के लिए साफ्टवेयर में भी जरूरी बदलाव किए गए हैं। डीजल रेल कारखाना में भी ऐसे इंजन बनाने की क्षमता व तकनीक मौजूद है। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर इनका उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए डीरेका अपनी तरफ से पूरी तरह तैयार है। हमें उच्चाधिकारियों के निर्देश की प्रतीक्षा है। -नितिन मेहरोत्रा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, डीरेका।
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