संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में परंपरागत और आधुनिक विद्या को जोडऩे का होगा प्रयास
वेद-विज्ञान अनुसंधान केंद्र के जरिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परंपरागत व आधुनिक विद्या को जोडऩे का प्रयास करेगा।
By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 10:09 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 10:09 AM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। वेद-विज्ञान अनुसंधान केंद्र के जरिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परंपरागत व आधुनिक विद्या को जोडऩे का प्रयास करेगा। विवि ने अनुसंधान केंद्र की रूपरेखा बना ली है। इसका उद्घाटन अगले माह होने की संभावना है।
यह जानकारी कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने दी है। वह शुक्रवार को अपने आवास पर पत्रकारों से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि वेदों की वैज्ञानिकता निहित है। इसके बावजूद तमाम लोग वेदों के रहस्य से अनजान हैैं। इसे देखते हुए भारतीय वैदिक ज्ञान विश्वस्तर पर पहुंचाने के लिए वेद विभाग में अनुसंधान केंद्र खोलने का निर्णय लिया गया है। यज्ञीय उपकरणों की प्रयोगशाला बनाने का काम शुरू हो गया है। इसके अलावा संस्कृत, ङ्क्षहदी व अंग्रेजी भाषा के अनुंसधान संबंधी रिपोर्ट पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। भारतीय वैदिक ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाया जा सके।
वैदिकविज्ञान के विविध आयामों पर मंथन आज से
इस क्रम में 'वैदिक विज्ञान के विविध आयाम' विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी 18 जनवरी से आयोजित है। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल व मुख्य वक्ता विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डा. जयंत सहस्त्रबुद्धे होंगे। समापन सत्र के मुख्य अतिथि काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह व विशिष्ट अतिथि बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी होंगे। इस दौरान चार सत्रों में विविध आयामों पर भी विमर्श होगा।
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