संपूर्णानंद संस्कृत विवि : विकास व क्रीड़ा मद से शिक्षकों व कर्मचारियों को बांटा जा रहा वेतन
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आर्थिक संकट तेजी से गहराता जा रहा है। हालत यह है कि विकास व क्रीड़ा मद से शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन बांटा जा रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आर्थिक संकट तेजी से गहराता जा रहा है। हालत यह है कि विकास व क्रीड़ा मद से शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन बांटा जा रहा है। परीक्षकों का पारिश्रमिक तीन वर्ष से बकाया है। ऐसे में इस वर्ष परीक्षकों ने कापियों के मूल्यांकन से हाथ खड़ा कर दिया था। कुलपति के हस्तक्षेप के बाद परीक्षक कापी जांचने के लिए तैयार हुए। अब विवि की निगाहें शासन के अनुदान पर टिकी हैं। हालांकि शासन ने हाल में ही विवि को वेतन के मद में 8.30 करोड़ रुपये अनुदान दिया था।
वहीं विवि ने करीब 30 करोड़ रुपये की मांग की है। आर्थिक संकट से उबरने के लिए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल व कुलाधिपति राम नाईक से मुलाकात की। उन्हें विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति के बारे में बताया। कुलाधिपति ने इस संबंध में सकारात्मक रूख दिखाते हुए स्थिति सामान्य करने का आश्वासन दिया। आर्थिक संकट के पीछे संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों का लगातार कम होना है। हालांकि विवि के शास्त्री-आचार्य सहित अन्य पाठ्यक्रमों में शुल्क काफी कम है। वहीं विश्वविद्यालय के पास आय का कोई विशेष स्रोत नहीं है। इन कारणों से विवि आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
भेंट किया पंचांग : लखनऊ में राज्यपाल रामनाईक से मुलाकात के दौरान कुलपति ने कुलाधिपति को पंचांग व वार्षिक प्रतिवेदन भेंट किया। इस दौरान शैक्षिक गतिविधियों पर भी उन्होंने चर्चा की। इसके अलावा नेपाल व मारीशस से हुए शैक्षिक आदान-प्रदान व विश्वविद्यालय में शुरू किए गए 'ज्ञान चर्चा' पर कुलाधिपति ने काफी प्रसन्नता जताई।
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