300 करोड़ घोटाले की जांच पहुंची बनारस, ईडी ने खरीद फरोख्त का ब्योरा मांगा
सोनभद्र में मनरेगा से चेकडैम समेत अन्य निर्माण के नाम पर 300 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच अब बनारस पहुंच गई है, जांच अधिकारियों ने संपत्ति का ब्योरा मांगा है।
वाराणसी [जेपी पांडेय] : सोनभद्र में मनरेगा से चेकडैम समेत अन्य निर्माण के नाम पर 300 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच अब बनारस पहुंच गई है। सीबीआई के अलावा पूरे मामले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बनारस के जिलाधिकारी से आरोपी ग्राम विकास अधिकारी रमाकांत पांडेय और उनके परिवार के नाम से खरीदी व बेची गई संपत्तियों का पूरा ब्यौरा मांगा है। यदि संपत्ति खरीदी और बेची गई तो अभिलेख तत्काल उपलब्ध कराएं जिससे जांच की प्रक्रिया पूरी की जा सके।
घोरावल, म्योरपुर और नगवां ब्लाक में वर्ष 2006 के बाद मनरेगा के तहत सड़क, बंधी, चेकडैम और सामान सप्लाई के नाम पर 300 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले सामने आए थे। इसमें 44 चेकडैम के एक ही राशि के 44 चेक से भुगतान किए गए थे। 300 करोड़ के घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने दर्जनभर लोगों को आरोपी बनाते हुए जेल भेज दिया था। सभी जमानत पर बाहर हैं। तत्कालीन जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी पर भी आंच आने पर पूर्व सरकार ने तत्काल उन्हें हटा दिया था जबकि सीबीआई ने परियोजना निदेशक, ब्लाक प्रमुख समेत कई लोगों से पूछताछ करने के साथ आरोपी बनाया है।
तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी रमाशंकर देव पांडेय और ब्लाक प्रमुख राबट्र्सगंज सदर के कमलाकांत पांडेय को भी सीबीआई ने आरोपी बनाते हुए जेल भेज दिया था। रमाशंकर देव पांडेय सेवानिवृत्त हो गए हैं। ईडी ने डीएम से कमलाकांत पांडेय पुत्र लालजी पांडेय, शकुंतला पांडेय पत्नी कमलाकांत पांडेय, रमाकांत पांडेय पुत्र लालजी पांडेय, श्यामाकांत पांडेय पुत्र लाली पांडेय, रोहित पांडेय और राहुल पांडेय पुत्र कमलाकांत पांडेय परसौना, केकराही राबट्र्सगंज द्वारा 2006 से 2012 तक मकानों व जमीन के खरीदे और बेचे गए संपत्ति का ब्यौरा मांगा है।