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स्पोर्ट्स इंजरी को न करें नजरअंदाज, आयुर्वेद में है इसका उचित इलाज

हर व्यक्ति किसी न किसी खेल का दीवाना होता है और उसे खेलने के दौरान उसे चोट भी लग सकती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 08:21 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 08:21 AM (IST)
स्पोर्ट्स इंजरी को न करें नजरअंदाज, आयुर्वेद में है इसका उचित इलाज

कृष्ण बहादुर रावत, वाराणसी : प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी खेल का दीवाना होता है और उसे खेलना पसंद करता है। अक्सर खेल के दौरान चोट लगने की भी पूरी संभावना होती है। जो खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के होते हैं उन्हें अक्सर खेल के दौरान चोट लग जाती है। फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन के दौरान हाथ पैरो में खिंचाव, मास पेशियों में तनाव और मोच हो जाते है। अगर बार- बार चोट लगते रहे तो भविष्य में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बेहतर होगा कि समय रहते इनका इलाज करवाएं। स्पोर्ट्स से होने वाली इंजरी का इलाज आयुर्वेद में भी बेहतर तरीके से होता है। इसके साथ ही कौन कौन सी स्पोर्ट्स के दौरान कौन कौन सी कंडीशन होती है जिनमें चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है और उनका कैसे करें इलाज इसके बारे में बता रहे हैं राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार..

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स्पोर्ट्स इंजरी का मतलब निम्न प्रकार के चोट से है जैसे.

1. लिंगामेंट इंजरी।

2. वजन उठाने में समस्या होना।

3. घुटने और टखने में चोट या मोच।

4. मासपेशी में खिंचाव की समस्या होना आदि।

5. क्रिकेटरों को कलाई में चोट या कंधे में समस्या अधिक होती है।

6. टेनिस या बास्केट बाल या वॉली बॉल के प्लेयर्स में भी हाथ में अक्सर चोट लग जाती है।

7. धावकों को अधिकतर पैरों की मास पेशियों में खिंचाव हो जाता है। कैसे बचें स्पोर्ट्स के दौरान लगने वाली चोटों से

1. खेल में लगने वाली चोटें स्वाभाविक होती हैं जो अभ्यास या खेल के दौरान लगती रहती है। अगर पूरी सुरक्षा के साथ खेला या अभ्यास किया जाए तो इसकी संभावना कम हो जाती है। 2. खिलाड़ियों को चिकित्सकों से चोट के संबंध में अवश्य पूछना चाहिए ताकि अक्सर कभी चोट लग जाए तो वह तत्काल कुछ प्राथमिक उपचार कर सकें। 3. स्पोर्ट्स के दौरान जब भी कभी किसी को मासपेशी में चोट लगे या उसमें सूजन आए तो हमें प्राइस नियम का पालन करना चाहिए। प्राइस का मतलब है प्रोटक्स (सुरक्षा), रेस्ट (आराम), आइस (बर्फ), कंप्रेशन (दबाव) और एलिवेशन (ऊंचाई)। 4. चोट लगने के बाद जितनी जल्दी हो सके बर्फ से सिंकाई करनी चाहिए। इसके अलावा चोट लगने के 24 घटे के भीतर हर दस से 15 मिनट के भीतर बर्फ की सिंकाई फायदेमंद होती है। 5. अगर चोट वाले हिस्से का तापमान सामान्य है, तो इसका अर्थ यह है कि सूजन आनी कम हो गई है और अब आप उस क्षेत्र पर गर्म सिंकाई कर सकते हैं। मगर चोट वाले हिस्से का तापमान अगर अभी भी गर्म है, तो फिर अगले चौबीस घटे के लिए उस पर बर्फ से ही सेक करें। खेल के दौरान लगी चोट का आयुर्वेद में इलाज..

वैद्य डा. अजय कुमार ने बताया कि खिलाड़ियों को खेल के दौरान लगी चोट को ठीक करने में आयुर्वेद की औषधियों और औषधियुक्त तेल बहुत कारगर साबित हो रही है। आयुर्वेदिक इलाज होने से खिलाड़ियों में एस्टेरॉएड का स्तर भी नहीं बढ़ता और उनकी सेहत भी अच्छी रहती है। आयुर्वेद में पैर में मोच या अन्य कारणों से दर्द हो तो उसमें स्नेहन और स्वेदन पद्धति बहुत कारगर होती है। स्वेदन के लिए दशमूल जैसी बहुत से औषधियों का काढ़ा बनाया जाता है फिर इस काढ़े से भाप बनाकर इससे चोट लगे स्थान की सिंकाई की जाती है। घुटने में दर्द के लिए जानु वस्ति और कंधे के दर्द के लिए ग्रीवा वस्ति पद्धति मशहूर है। इस पद्धति में औषधियुक्त तेल का भी प्रयोग किया जाता है। बहुत सी आयुर्वेद कंपनियों की आयुर्वेदिक औषधियों से युक्त दर्द निवारक स्प्रे भी बाजार में उपलब्ध है जिनसे शीघ्र आराम मिलता है। चोटों और मोचों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक औषधियों से बना तेल का लाभ एक सप्ताह बाद दिखना शुरू हो जाता है। आयुर्वेद की कुपिलु, संजीवनी वटी, समीरपन्नग रस, वातविध्वंसन, महानारायन तेल, विषगर्भ तेल आदि अनेक औषधियों से वैद्य की देख रेख में इलाज लेने से इन चोट में बहुत जल्दी आराम मिलता है।


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