कम उत्पादन के कारण Vegetable के दाम छू रहे आसमान, मंडियों में हरी सब्जियों की आवक हो गई है कम
सब्जियों के दामों में हो रही बेतहाशा वृद्धि से आम जनता परेशान है। घरों के रसोई का बजट दिन पर दिन बिगड़ता जा रहा है। इधर किसानों का कहना है कि लाकडाउन में सब्जी न बिकने के कारण ज्यादातर सब्जी की फसल खेतों में ही सूख गई।
वाराणसी, जेएनएन। सब्जियों के दामों में हो रही बेतहाशा वृद्धि से आम जनता परेशान है। घरों के रसोई का बजट दिन पर दिन बिगड़ता जा रहा है। इधर किसानों का कहना है कि लाकडाउन में सब्जी न बिकने के कारण ज्यादातर सब्जी की फसल खेतों में ही सूख गई। उसके बाद बची हुई फसल बारिश के कारण बर्बाद हो गई। अब जो फसल बची है उसे छुट्टा पशु चर जा रहे हैं। इस कारण कम उत्पादन हो रहा है। इससे मंडियों में माल की आवक कम हो गई है। ऐसे में थोक और फुटकर बाजार में सब्जियों के दामों में वृद्धि होना स्वाभाविक है।
आलू और प्याज पर सात फीसद देना पड़ रहा है कमीशन पहडिय़ा मंडी से थोक में माल खरीदने वाले कुछ व्यापारियों ने नाम न छपने की शर्त पर कहा कि मंडी से माल खरीदने पर सात फीसद कमीशन देना पड़ता है। उसके बाद किराया और अपना मुनाफा जोड़कर माल बेचते हैं। यदि मंडी के आढ़ती अपना कमीशन कम कर दें तो आलू और प्याज की कीमत नियंत्रण में आ जाएगी। हालांकि वर्तमान में मंडी परिषद को आढ़ती केवल एक फीसद ही मंडी शुल्क देते हैं।
लहसुन के भाव में 40 रुपये की हुई गिरावट
पहडिय़ा मंडी में मंगलवार को लहसून सौ रुपये प्रति किलो के भाव बिका। दो दिन पहले तक लहसून 140 रुपये प्रतिकिलो के भाव बिक रहा था।
सब्जी के थोक रेट
लौकी 25-30
कोहड़ा 30-35
बैगन 25-30
भिंडी 35-40
बोड़ा 40-50
नेनुआ 45-50
गोभी 20-30 ( प्रति पीस )
मटर 120-140
पालक 50-60
मिर्चा 50-60
सूरन 30-40
तरोई 35-40
आलू पुराना 30-32
आलू नया 35-38
टमाटर 50-60
नोट - सभी रेट प्रतिकिलो में हैं।