मौसम : ठिठके मानसून से किसानों के माथे पर गहराई चिंता की लकीरें
बुधवार को भी मानसून स्थिर रहने से अब लगभग पांच दिन पूर्वाचल में मानसून लेट हो चुका है।
वाराणसी : बुधवार को भी मानसून स्थिर रहने से अब लगभग पांच दिन पूर्वाचल में मानसून लेट हो गया है। मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में बुधवार को भी मानसून की सक्रियता मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तरी बिहार तक सीमित है। सप्ताह भर से मानसून वहीं का वहीं स्थिर है। वहीं मानसून के साथ ही प्री मानसूनी बादल भी अब पूर्वाचल में अपनी क्षमता खो रहे हैं। जिससे किसानों के माथे पर अब चिंता की लकीरें उभरनी शुरु हो गई हैं।
बुधवार की सुबह से चढ़ते सूरज ने धरती का ताप जो बढ़ाना शुरु किया वह देर शाम तक बरकरार रहा। तपिश का स्तर दोपहर में पूर्वाचल के कई जिलों में 42 डिग्री का स्तर भी पार कर गया। इस दौरान आसमान पर मामूली बादलों की सक्रियता तो रही मगर कुछ ही देर में बेअसर बादलों से आस भी टूट गई।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार वातावरण से नमी न मिलने के कारण प्री मानसूनी बादलों की सक्रियता भी थमी हुई है। हालांकि बारिश की परिस्थितियां अभी भी बनी हुई हैं। मगर नमी का स्तर बढ़ने पर ही यह संभव है। मानसून फिलहाल ठहरा हुआ है। मगर पड़ोसी प्रदेशों में यह सक्रिय है। जल्द ही मानसूनी परिस्थितियां सक्रियता की ओर रुख कर सकती हैं। अंदाजा है कि सप्ताह भर में मानसून पुन: सक्रिय होकर अपनी गति बढ़ाएगा और पूर्वाचल में बारिश भी कराएगा।
दूसरी ओर कृषि वैज्ञानिक मान रहे हैं कि जैसे जैसे मानसूनी सक्रियता के दिन कम हो रहे हैं वैसे ही खेती किसानी भी प्रभावित हो रही है। अब मानसून सप्ताह भर या अधिक देर हुआ तो फसल उत्पादन में भी गिरावट का स्तर समय के साथ बढ़ता जाएगा।