पूर्वांचल में लॉकडाउन से श्रृंगार कारोबार हुआ फीका, सावन में चूड़ी-बिंदी की बिक्री होने की है उम्मीद
कोरोना संक्रमण ने श्रृंगार के कारोबार को भी लपेटे में ले लिया है। लॉकडाउन घोषित होने से शहर के चूड़ी और बिंदी कारोबारियों को जबरदस्त झटका लगा है।
वाराणसी [वंदना सिंह]। कोरोना संक्रमण के खतरे ने श्रृंगार के कारोबार को भी लपेटे में ले लिया है। लॉकडाउन होने से शहर के चूड़ी और बिंदी कारोबारियों को जबरदस्त झटका लगा है। अचानक बंदी हो जाने से उनकी दुकानों व गोदामों में रखी चूड़ी और बिंदी के बंडल में नमी से फफूंद व दीमक लग गया। बिंदी के गम खराब हो गए। चूडिय़ों का रंग फीका होने लगा। लगन सीजन में कोरोना कॉल होने से इन चीजों का कारोबार नहीं हो पाया। कारोबारियों को अब सावन व सर्दी की लगन में कारोबार होने से घाटा पूरा करने की उम्मीद है।
पूरे पूर्वांचल में फैला है कारोबार
बनारस में जौनपुर, आजमगढ़, मीरजापुर, सोनभद्र आदि आसपास के जिलों के साथ ही चोलापुर, बड़ागांव और पिंडरा आदि से दुकानदार आकर चूड़ी-बिंदी ले जाते हैं। शहर में ब्रांडेड बिंदियों और गांव में नॉन ब्रांडेड बिंदियों की ज्यादा मांग रहती है।
बाहर से मंगाते श्रृंगार के सामान
बनारस में कांच की चूडिय़ां फिरोजाबाद, मेटल की दिल्ली और कड़े मुंबई से आते हैं। फिलहाल अभी यहां के कारोबारी पुराने माल की निकासी को लेकर परेशान हैं।
करीब 35 फीसद सामान खराब होने से तीन माह में लाखों का नुकसान
इस बारे में कारोबारी आशीष गर्ग ने कहा कि मार्च में चूडिय़ों व बिंदियों का स्टाक मंगा लिया था। इसी दौरान अचानक लॉकडाउन हो गया। कांच की चूडिय़ां डिब्बों के भार से टूट गईं। ठीक से रखने का मौका न मिलने से करीब 35 फीसद सामान खराब होने से तीन माह में लाखों का नुकसान हो गया। कारोबारी अरविंद जायसवाल के अनुसार बाजार खुल गया, मगर एक दिन के अंतराल की व्यवस्था से मुश्किल हो रही। पांच फीसद भी बिक्री नहीं हो पा रही है। लगन के लिए खरीदी बिंदी, चूडियां पड़ी हैं। आगे की स्थिति समझ नहीं आ रही। जाड़े के लगन में क्या होगा अंदाजा नहीं है। मो. जुबैर के अनुसार लगन व रमजान दोनों बीत गया, मगर चूडिय़ों की बिक्री नहीं हो पाई। कोरोना के कारण इस साल गर्मी की लगन खाली गई। ग्रामीण क्षेत्रों में अब छिटपुट माल जा रहा है। गत वर्ष गर्मी की लगन में डिजाइनर चूडिय़ों की खूब बिक्री हुई थी।