Drainage System : दो सौ साल पुराने शाही नाले के भरोसे बनारस का ड्रेनेज सिस्टम, 2016 में शुरू हुआ जीर्णोद्धार
दो सौ साल बाद भी बनारस की ड्रेनेज व सीवेज व्यवस्था उसी जेम्स प्रिंसेप के शाही नाले के भरोसे है। सांसद नरेंद्र मोदी ने 2016 में सफाई का काम जापान की कंपनी “जायका” को दिया।
वाराणसी [ विनोद पांडेय]। कोई बनारस में ये कहे कि “जाके गंगा जी में डूब जो !” यह बात तो समझ में आती है लेकिन हैरान करने वाली बात तब होगी जब कोई किसी को शाही नाले में डूब जाने की बात कहे। हां, थोड़ी हैरानी तो होनी ही चाहिए। इसके लिए इतिहास में जाएं तो 26 नवंबर 1820 को दिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने बनारस का टकसाल अधिकारी जेम्स प्रिंसेप को नियुक्त किया। इस दौरान उनके मन में नए बनारस की कल्पना ने जन्म लिया। पहले जनगणना करवाई। फिर पहली बनारस की थ्री डी पेंटिंग बनाई और पहला नक्शा बनवाया।
जब ड्रेनेज सिस्टम, पेयजल को डिजायन करने लगे तो वरदान के रूप में मुगलों का शाही सुरंग को चुना। प्रिंसेप ने ड्रेनेज सिस्टम डिजायन कर दिया और शाही सुरंग को तोड़-ताड़कर, कुछ नया जोड़-जाड़कर समूचे बनारस का शाही नाला बना दिया। उस समय शाही नाले को लाखौरी ईंट और बरी मसाला से बनाया गया। जेम्स प्रिंसेप की कल्पना ने ठीक 1827 में मूर्तरूप लिया। पूरे बनारस में प्रिंसेप का सम्मान हुआ। दो सौ साल बाद भी बनारस की ड्रेनेज व सीवेज व्यवस्था उसी जेम्स प्रिंसेप के शाही नाले के भरोसे है। दो सौ सालों में तरक़्क़ी की बात तो दूर, आपको जानकर दुख होगा कि 2014 तक उस नाले की सुध-बुध तक नहीं ली गई थी। जब बनारस के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने तो 2016 में उसकी सफाई का काम जापान की कंपनी “जायका” को दिया गया। जायका ने काम शुरू किया तो उसे पता चला कि वाराणसी नगर निगम के पास तो शाही नाले का नक्शा ही नहीं है। तब रोबोटिक कैमरे से नाले के भीतर की जानकारी ली गई। बीते चार साल से नाले की सफाई हो रही है जो अब तक पूरी नहीं हो सकी। जल निगम के इंजीनियर और आर्टिटेक्ट हैरान हैं कि जब यह नाला बनाया गया तब बनारस की आबादी महज़ एक लाख 80 हज़ार थी। आज 20 लाख के पार है। शहर विकराल होता चला गया है लेकिन वाटर ड्रेनेज की मुकम्मल आधुनिक व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी है। वर्ष 2015 में नया बना स्टार्म वॉटर सिस्टम पूर्व की सपा सरकार में जल निगम की ओर से हुई धांधली की भेंट चढ़ गया।
एक नजर में शाही नाला
अस्सी से कोनिया तक इसकी लंबाई 24 किलोमीटर बताई जाती है। यह अब भी अस्तित्व में है लेकिन उसकी भौतिक स्थिति के बारे में सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। पुरनियों के मुताबिक यह नाला अस्सी, भेलूपुर, कमच्छा, गुरुबाग, गिरिजाघर, बेनियाबाग, चौक, पक्का महाल, मछोदरी होते हुए कोनिया तक गया है।
253 करोड़ का ड्रेनेज सिस्टम सड़क में दफन
वाराणसी में जल निकासी के लिए बसपा सरकार ने 2009 में स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम की योजना बनवाई। 253 करोड़ रुपये की इस योजना में शहर भर करीब 76 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई गई। जल निकासी की यह योजना 2015 से ही पूरी हो गई है लेकिन वह कारगर नहीं हुई क्योंकि सपा सरकार में जब नगर विकास मंत्री आजम खां थे तो बनारस की सीवेज, पेयजल व स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम निर्माध में कार्यदायी संस्था जल निगम की ओर से खूब धांधली की गई। जनता हल्ला मचाती रही लेकिन शासन तक कोई सुनवाई नहीं हुई। खास यह की योजना पूर्ण हुए पांच वर्ष हो गए लेकिन नगर निगम को इसे अभी तक जल निगम ने हैंडओवर नहीं किया है। कारण, ड्रेनेज सिस्टम का जगह-जगह बनाए गए कैकपिट और जालियों को लोक निर्माण विभाग व नगर निगम द्वारा सड़क बनाए जाने के दौरान पाट दिया गया हैं जिससे स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह क्रियाशील नहीं हो सका। बंद जालियों व कैकपिट को खुलवाने के लिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा तीन करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार किया गया है।
जलजमाव के लिए चिह्नित स्पॉट
बड़ी गैबी, जक्खा, मोतीझील, सीस नगवा, चपरहिया पोखरी, मकदूम बाबा, देव पोखरी, अम्बा पोखरी, अहमदनगर, जक्खा कब्रिस्तान, आकाशवाणी मोड़, शिवपुरवा का हनुमान मंदिर मैदान, शायरा माता मंदिर, जेपी नगर मलिन बस्ती, निराला नगर लेन नंबर तीन। सरैया पोखरी, सरैया फकीरिया टोला, कोनिया धोबीघाट, जलालीपुरा, अमरोहिया, सरैया मुस्लिम बस्ती, कोनिया मोहन कटरा, अमरपुर मढहिया, सरैया निगोरिया, रमरेपुर, मवईया यादव बस्ती, शेखनगर बैरीवन और पांडेयपुर गांव आदि।
नगर में ड्रेनेज सिस्टम और आबादी
-शहर की आबादी : 2081639
-शहर का क्षेत्रफल : 112.26 वर्ग किमी
-नदियां : गंगा, वरुणा, असि, गोमती, बेसुही, नाद
-शहर में वार्ड : 90
-शहर में मुहल्ले : 434
-शहर में आवास : 192786
नगर में ड्रेनेज सिस्टम
-छोटे व बड़े कुल 76 नाले
-नगवां-अस्सी नाला, नरोखर नाला, अक्था नाला, सिकरौल नाला, बघवा नाला मुख्य प्राकृतिक नाले
-अंग्रेजों के जमाने में 24 किमी का शाही नाला
-एक दशक पूर्व बना 76 किमी का स्टार्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम
-दो सौ वर्ष पूर्व जब शाही नाले के रूप में पहला ड्रेनेज बना था तो शहर की आबादी 1.80 लाख थी और क्षेत्रफल 30 वर्ग किमी था।
-वर्तमान में शहर की आबादी 20 लाख से अधिक हो गई और क्षेत्रफल 112.26 वर्ग किमी है। 86 गांव और शामिल करने का प्रस्ताव पास हो चुका है।