Move to Jagran APP

Dr. Sampurnanand Birth Anniversary: नैनिताल में वेधशाला और वाराणसी में संस्कृत विश्वविद्यालय की रखी नींव

अंग्रेजी की महत्ता अंग्रेजों के जमाने से बनी हुई है। देश में इसे स्थायी स्वरूप देने का प्रयास समय-समय पर होता रहा है। इसे हिंदी के साथ सरकारी भाषा बनाने का भी कुचक्र चला था। तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. संपूर्णानंद ने इसका जोरदार विरोध किया था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 10:31 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 01:31 PM (IST)
डा. संपूर्णानंद का जन्म एक जनवरी को वाराणसी में हुआ था।

वाराणसी, जेएनएन। अंग्रेजी की महत्ता अंग्रेजों के जमाने से बनी हुई है। देश में इसे स्थायी स्वरूप देने का प्रयास समय-समय पर होता रहा है। इसे हिंदी के साथ सरकारी भाषा बनाने का भी कुचक्र चला था। तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. संपूर्णानंद ने इसका जोरदार विरोध किया था। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए लज्जा की बात है। हिंदी से सबको चिढ़ है, तो किसी दूसरी भाषा को उसका स्थान दे दिया जाय, परंतु अंग्रेजी को सिर पर ढोना डूब मरने के बराबर है।

loksabha election banner

डा. संपूर्णानंद का जन्म एक जनवरी को वाराणसी में हुआ था। उनके पूर्वज पंजाब से आकर उत्तर प्रदेश में बसे थे। डा. संपूर्णानंद की प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई थी। छठी कक्षा में उन्होंने हरिश्चंद्र कालेज में दाखिला लिया। आठवीं कक्षा के बाद वह क्वींस कालेज में आ गए। क्वींस कालेज से ही उन्होंने स्कूल लीङ्क्षवग सर्टिफिकेट परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने एलटी टीचर्स ट्रेनिंग कालेज से एलटी और लखनऊ विश्वविद्यालय से डिलिट की। उन्होंने हरिश्चंद्र कालेज, प्रेम विद्यालय (वृंदावन), डेली कालेज (इंदौर) में अध्यापन का भी कार्य किया। राजकीय विद्यालय (बीकानेर) के प्राचार्य, काशी विद्यापीठ के दर्शन विभाग में प्राध्यापक भी रहे।

नैनीताल में वेधशाला डा. संपूर्णानंद की ही देन : पूर्व मुख्यमंत्री डा. संपूर्णानंद देश के राष्ट्रवादी नेताओं में अग्रणी रहे। वह व्यक्तिगत रागद्वेष या पार्टी की सीमा से परे सदा सिद्धांतवादी बने रहे। उन्हें संस्कृत व संस्कृति से गहरा लगाव था। नैनीताल में वेधशाला उन्हीं की देन है। अपने मुख्यमंत्रित्व-काल में उन्होंने संस्कृत कालेज को विश्वविद्यालय का स्वरूप दिया। वह कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने थे। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला भाषण गीता मंदिर गौदौलिया में हुआ। उसी समय उन्होंने घोषणा की थी कि यदि संस्कृत कालेज विश्वविद्यालय नहीं बना तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। विश्वविद्यालय को लेकर विधानसभा में कुछ विरोध भी चल रहा था लेकिन उन्होंने संकल्प पूरा किया।

शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान : डा. संपूर्णानंद स्वयं दर्शन व ज्योतिष के प्रकांड विद्वान थे। वर्ष 1934 में समाजवादी व्यवस्था को लागू करने हेतु उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक 'समाजवाद का मुख्य उद्देश्य वर्गहीन समाज को जन्म देना था। वर्ष 1938 व उसके पश्चात अपने मंत्रित्वकाल में उन्होंने प्राथमिक, माध्यमिक व उच्चत्तर शिक्षा में सुधार हेतु अनेक आवश्यक कदम उठाए। वर्ष 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन का प्रचार-प्रसार उन्होंने काशी से ही शुरू किया था।

'ब्राह्मण सावधान लिख कर किया था सावधान : उन्होंने 'ब्राह्मण सावधान नामक ग्रंथ की रचना कर ब्राह्मणों को सावधान करने का भी काम किया। इस पुस्तक में ब्राह्मणों के कर्तव्यों पर जोर देते हुए उन्होंने ढोंग, धतूरा और निरर्थक रूढि़वाद का खंडन किया था। शास्त्र मर्यादा को वे महत्व देते थे।उनके मन में एक विद्यार्थी की भांति सदैव अध्ययन करने की लालसा बनी रही। वह चाहे जेल में रहे या आफिस में अथवा कहीं और, उनके पास संस्कृत की दो-चार पुस्तकें अवश्य विद्यमान रहतीं जिनका वह अध्ययन करते रहते।

पिसहरिया के गुलाब जामुन के रहे दीवाने : डा. संपूर्णानंद को पिसहरिया का गुलाब जामुन काफी पसंद था। एक बार साहित्यिक संस्था प्रसाद परिषद की ओर से सारनाथ बगीचे में गोष्ठी आयोजित की गई थी। बगीचे में आते ही उन्होंने पूछा- 'कहिए, आपलोगों ने पिसहरिया का गुलाब जामुन मंगवाया है या नहीं?

10 जनवरी 1969 को निधन : कला के क्षेत्र में लखनऊ के मैरिस म्यूजिक कालेज को विश्वविद्यालय बनाने का भी श्रेय डा. संपूर्णानंद को ही है। वृद्धावस्था की पेंशन भी उन्होंने ही आरंभ की। उन्हें देश के अनेक विश्वविद्यालयों ने 'डाक्टर की उपाधि से विभूषित किया था। हिंदी साहित्य सम्मेलन की सर्वोच्च उपाधि 'साहित्यवाचस्पति भी उन्हें प्रदान की गई थी। उन्हें हिंदी साहित्य का प्रमुख सम्मान 'मंगलाप्रसाद पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। उनका निधन 10 जनवरी 1969 को वाराणसी में हुआ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.