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डा. फिरोज प्रकरण : बीएचयू की स्वायत्तता को चुनौती दे रहा है आंदोलन, बोले प्रो. वाईसी सिम्हाद्री

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज वाइस चांसलर के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वाईसी सिम्हाद्री ने डा. फिरोज प्रकरण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 01:27 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 02:08 PM (IST)
डा. फिरोज प्रकरण : बीएचयू की स्वायत्तता को चुनौती दे रहा है आंदोलन, बोले प्रो. वाईसी सिम्हाद्री
डा. फिरोज प्रकरण : बीएचयू की स्वायत्तता को चुनौती दे रहा है आंदोलन, बोले प्रो. वाईसी सिम्हाद्री

वाराणसी, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज वाइस चांसलर के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वाईसी सिम्हाद्री ने डा. फिरोज प्रकरण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति को लेकर छिड़े आंदोलन को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। प्रो. सिम्हाद्री के अनुसार यह बहुत ही खुशी की बात है कि इस पद के लिए चयन समिति ने युवा प्रतिभावान उम्मीदवार का चुनाव सर्व सम्मति से किया।

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नियुक्ति के खिलाफ आंदोलन और बीएचयू जैसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के वैध अधिकार को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम ने उन्हें व्यथित किया है। कहा विरोध करने वाले न सिर्फ गलत हैं बल्कि वे शैक्षणिक माहौल को भी खराब कर रहे हैं। इस तरह का आंदोलन विवि के साथ ही आमजन व समूची शिक्षण प्रणाली के हित में कतई नहीं है। उन्होंने दोहराया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय भारतीय संविधान से चलती हैं इसलिए नियुक्ति के विरोध में चल रहा आंदोलन असंवैधानिक है। प्रो. सिम्हाद्री ने इस बात को रेखांकित किया कि विवि स्वायत्त संस्था हैं और यही स्वायत्तता चयन समिति को सही उम्मीदवार के चयन की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करती है। इस प्रकरण में आंदोलन काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर सवाल उठा रहे हैं। प्रो. सिम्हाद्री कहते हैं कि भारत की प्राचीन परंपरा रही है, जो हमें हर धर्म और हर वर्ग का सम्मान करने की शिक्षा देती है। भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता के उद्देश्यों के साथ की थी, इसलिए मूल भारतीय परंपरा और मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।


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