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मीरजापुर में चिकित्‍सक बोले - 'ब्लैक फंगस अनियंत्रित शुगर के मरीजों में ज्यादा होने की संभावना'

जनपद व प्रदेश अभी कोरोना जैसी महामारी से उभर नहीं पाया कि ब्लैंक फंगस भी अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है। यह बीमारी कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है फिर भी इससे डरने की आवश्यकता नहीं है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 08:00 AM (IST)
मीरजापुर में चिकित्‍सक बोले - 'ब्लैक फंगस अनियंत्रित शुगर के मरीजों में ज्यादा होने की संभावना'
सावधानी व सतर्कता से ब्‍लैक फंगस से बचा जा सकता है।

मीरजापुर, जेएनएन। जनपद व प्रदेश अभी कोरोना जैसी महामारी से उभर नहीं पाया कि ब्लैंक फंगस भी अपना पाव पसारना शुरू कर दिया है। यह बीमारी कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है, फिर भी इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। सावधानी व सतर्कता से बचा जा सकता है।

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जिला प्रतिरक्षण अधिकारी निलेश श्रीवास्तव ने बताया कि ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए नेत्र, नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ से मरीज उचित परामर्श लें। ब्लैक फंगस अनियंत्रित शुगर के मरीजों में ज्यादा होने की संभावना है, इसलिए जरूरी है कि मरीज शुगर को नियंत्रित रखें। जो लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, वे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर डाक्टर से परामर्श अवश्य लें। जिन लोगों को ऑक्सीजन का सहारा लेना पड़ रहा है, वे प्रतिदिन रेगुलेटर में लगे पानी को अवश्य बदलें। सीएमओ डा. पीडी गुप्ता ने बताया कि ब्लैंक फंगस एक इंफेक्शन है। यह शरीर में बहुत तेजी के साथ फैलता है। इसका असर नाक, आंख, दिमाग, फेफड़े या स्किन पर भी हो सकता है। आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इंफेक्शन दिमाग तक पहुंच जाए तो मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।

ब्‍लैक फंगस के प्रमुख लक्षण

नाक में कालापन होना, आंखों के आसपास कालापन होना, चेहरे पर सूजन आना, आंखों का घूमना कम हो जाना, दो-दो चीजें दिखाई देना, आंखों का बाहर की ओर निकलना, दिखना बंद हो जाना, खड़े-खड़े गिर जाना ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण हैं।

ब्लैक फंगस से बचाव के मुख्य तरीके

ब्लड शुगर को पूर्णत: नियंत्रित रखें, कोविड मरीजों को ऑक्सीजन देते समय पानी रोजाना बदलते रहे। जो कोविड रोगी अधिक जोखिम वाले हैं, उनके नाक हमेशा धोते रहे। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। ब्लड ग्लूकोज स्तर को बराबर जांचते रहे और इसे नियंत्रित रखें। लक्षण दिखते ही चिकित्सक से परामर्श लें। मुंह को सूखा न होने दें। नेबुलाइजेशन या भांप के बाद पानी से कुल्ला करें। मास्क का इस्तेमाल ब्लैक फंगस से भी बचाने का काम करेगा।


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