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सारनाथ को विश्व धरोहर दर्जा के लिए दस्तावेज यूनेस्को रवाना, एएसआइ ने 500 पृष्ठ के डोजियर में इतिहास-भूगोल व महत्ता भेजा

बनारस के पुरा वैभव का श्रेष्ठ अध्याय धर्म चक्र प्रवर्तन स्थली सारनाथ विश्व धरोहर सूची में दर्ज होने की ओर एक कदम और बढ़ गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 02:04 PM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 10:03 AM (IST)
सारनाथ को विश्व धरोहर दर्जा के लिए दस्तावेज यूनेस्को रवाना, एएसआइ ने 500 पृष्ठ के डोजियर में इतिहास-भूगोल व महत्ता भेजा
सारनाथ को विश्व धरोहर दर्जा के लिए दस्तावेज यूनेस्को रवाना, एएसआइ ने 500 पृष्ठ के डोजियर में इतिहास-भूगोल व महत्ता भेजा

वाराणसी, जेएनएन। बनारस के पुरा वैभव का श्रेष्ठ अध्याय धर्म चक्र प्रवर्तन स्थली सारनाथ विश्व धरोहर सूची में दर्ज होने की ओर एक कदम और बढ़ गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसके लिए डोजियर यूनेस्को के पेरिस स्थित मुख्यालय को भेज दिया है। लगभग 500 पृष्ठ के दस्तावेज में एएसआइ ने बौद्ध धर्म की महत्वपूर्ण स्थली का इतिहास-भूगोल, महत्ता-सार्वभौमिक मूल्य, संरक्षण को लेकर सजगता समेत विभिन्न बिंदुओं को लिपिबद्ध किया है। अब समस्त बिंदुओं का आकलन के बाद जल्द ही निरीक्षण-परीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 

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महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली तृतीय शताब्दी ई. पूर्व से 12वीं शती ई. तक धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। इसे यहां उत्खनन में प्राप्त पुरावशेष प्रमाणित करते हैं। संग्रहालयों में संग्रहित व प्रदर्शित इससे संबंधित पुरा सामग्री स्पष्ट करती है कि सारनाथ सिर्फ बौद्ध धर्मानुयायियों की आस्था का प्रधान केंद्र ही नहीं जैन व हिंदू धर्मानुयायियों के लिए भी इस स्थान का विशेष महत्व है।

धर्म व पर्यटन की नगरी काशी आने वाले सैलानियों मे लगभग 35 फीसद यहां जाते ही हैैं। इसमें बौद्ध देशों के साथ ही अन्य विदेशी पर्यटकों की भी संख्या अधिक होती है। इसे देखते हुए यूनेस्को ने 2002-03 में ही सारनाथ को टेंटेटिव सूची में शामिल कर लिया था लेकिन प्रस्ताव भेजने के लिए इस साल अप्रैल में कवायद शुरू की गई। एएसआइ महानिदेशालय ने सारनाथ मंडल के पुराविद् अधीक्षण डा. नीरज सिन्हा को को डोजियर बनाने के निर्देश दिए थे। डा. सिन्हा ने बताया कि डोजियर में सारनाथ के पुरातात्विक उत्खनित स्थल परिसर स्थित धर्मराजिक स्तूप, अशोक लाट, प्राचीन मूलगंध कुटी, बौद्ध विहार मंदिर व धमेख स्तूप सहित अन्य स्मारकों का ऐतिहासिक महत्व व समकालीन पुरातात्विक स्थलों से तुलनात्मक अध्ययन शामिल किया गया है। दस्तावेज एक सप्ताह पूर्व पुरातत्व विभाग के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजा गया था जहां से दो दिन पहले यूनेस्को भेज दिया गया।


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