क्या आप भी शराब की लत से हैं परेशान तो जानें ये समाधान
नशे की लत इतनी बुरी होती है कि इंसान सब कुछ भूलकर इसी में डूब जाता है। आयुर्वेद में ऐसे उपाय हैं जिसका पालन का नशे से मुक्ति पाई जा सकती है।
वाराणसी, (कृष्ण बहादुर रावत)। नशे की लत इतनी बुरी होती है कि इंसान सब कुछ भूलकर इसी में डूबा रहता है। इसकी लत दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है। शराब पीने से प्रजनन क्षमता कम होने लगती है और फेफड़े, किडनी एवं गुर्दे भी खराब हो जाते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, 2000 के दशक में शराब की लत में काफी बढ़ोत्तरी हुई एवं हर 8 व्यक्ति में से 1 में शराब की लत पाई गई है।
चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय , वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार ने बताया की शराब की लत यानी ऐल्कॉहॉलिजम के शिकार लोगों को जब तक शराब न मिले, तब तक वे बेचैन रहते हैं। ऐसे लोग नशे के सेवन से पहले असामान्य रहते हैं और उसे पाने के बाद खुद को सामान्य स्थिति में पाते हैं। यह स्थिति ऐसे लोगों को पूरी तरह बीमार बना देती है।
शराब की लत के लक्षण : घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन। गुस्सा आना, मूड में अचानक बदलाव। तनाव, मानसिक थकावट। फैसला लेने में कठिनाई। याददाश्त कमजोर पड़ना। नींद न आना। सिर में तेज दर्द होना। ज्यादा पसीना निकलना, खासकर हथेलियों और पैर के तलवे से। जी मिचलाना और भूख कम लगना। शरीर में ऐंठन और मरोड़ होना। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इस अवस्था का अनेक जगह वर्णन मद रोग और मदात्यय नाम से किया गया है। आयुर्वेद के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ चरक संहिता में मद्य से संबंधित 'मदात्यय चिकित्सा' नाम का भी अध्याय है जिसमे मद्य से जुड़े विकारों की अवस्थाएं और उनके आयुर्वेदिक उपचार के बारे में विस्तार से बताया गया है। मदात्यय में प्रधान रूप से कफ की दृष्टि बताई गई है और साथ में वात और पित्त का भी अनुबंध रहता है।
आयुर्वेद में इसके उपचार के लिए निम्न औषधियां बताई गई हैं : खट्टे अनार का रस पीने से लाभ मिलता है। धनिया और शोंठ का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। अंगूर का रस ठंडा करके पीना चाहिए। फालसा का रस ठंडी करके पीना चाहिए। नागरमोथा, बला, सोंठ आदि का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है। संतरा और नीबू के रस व सेव, केला आदि के सेवन से ऐल्कॉहॉल की वजह से शरीर में जमा जहर कम हो जाता है। खजूर काफी फायदेमंद रहता है। 3-4 खजूर को आधे गिलास पानी में रगड़कर देने से शराब की आदत छोड़ने में मदद मिलती है। धूम्रपान करना बिल्कुल बंद कर दें। धूम्रपान से ऐल्कॉहॉल लेने की इच्छा प्रबल होने लगती है। आधा गिलास पानी और समान मात्रा में आजवाइन से बने रस को मिलाकर रोजाना एक महीने तक पीने से काफी फायदा मिलता है। शराब के कारण हुई मानसिक क्षति को ठीक करने में अश्वगंधा, जटामासी, ब्राह्मी, बच, मंडूकपर्णी, अमृता, अपराजिता, शखपुष्पी, कुष्माड जैसी आयुर्वेद की अनेक वनौषधियों से बने योग कारगर होते हैं। अल्कोहल के कारण लिवर क्षतिग्रस्त होता है, जिसे ठीक करने के लिए शतावर, अमृता, पुनर्नवा, कालमेघ, यष्टिमधु, के साथ, प्रवाल पंचामृत , कामदुधा रस से बनी दवाइयों का प्रयोग निश्चित लाभकारी होता है।