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पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर के दबाव में दूसरे पक्ष को सौंपे बच्‍चे की डीएनएन रिपोर्ट ने किया अहम खुलासा

डीएनए रिपोर्ट के अभाव में अपने असली माता-पिता से दूर मूसन उर्फ अमर का अब भटकाव खत्म हो गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 07:06 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 07:06 PM (IST)
पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर के दबाव में दूसरे पक्ष को सौंपे बच्‍चे की डीएनएन रिपोर्ट ने किया अहम खुलासा
पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर के दबाव में दूसरे पक्ष को सौंपे बच्‍चे की डीएनएन रिपोर्ट ने किया अहम खुलासा

बलिया, जेएनएन। लंबे समय से डीएनए रिपोर्ट के अभाव में अपने असली माता-पिता से दूर मूसन उर्फ अमर का अब भटकाव खत्म हो गया है। दो वर्ष के इंतजार के बाद दिव्यांग (मंदबुद्धि व अविकसित शरीर) युवक एवं दो दावेदार मां-बाप का डीएनए रिपोर्ट आ गया है। मामले की जांच कर रहे चौकी इंचार्ज देवेंद्र दुबे ने बताया कि नवंबर माह में विधि विज्ञान प्रयोगशाला यूपी लखनऊ से मिले रिपोर्ट के अनुसार मूसन उर्फ अमर का प्रभावती एवं सूरज राजभर ग्राम रामगढ़ थाना कासिमाबाद जनपद गाजीपुर निवासी ही बायोलोजिकल माता-पिता है। रिपोर्ट में स्पष्ट है कि बिल्थरारोड निवासी संगीता व छेदीलाल वर्मा उक्त युवक के बायोलोजिकल माता-पिता नहीं है। उक्त डीएनए परीक्षण में जेनेटिक एनालाइजर व जीन मैपर साफ्टवेयर का प्रयोग किया गया है। जिसकी रिपोर्ट वे जल्द ही जिला बाल संरक्षण केंद्र को सौंप देंगे। जिसके आधार पर उक्त युवक के दूसरे दावेदार सूरज ही असली मां-बाप है। 

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इन्हें अब विभागीय आधार पर युवक को सौंप दिया जायेगा। हालांकि दोनों दावेदारों के आपसी सहमति से उक्त दिव्यांग युव मूसर उर्फ अमर वर्तमान में सूरज राजभर के देखरेख में है। उक्त रिपोर्ट की जानकारी मिलने से मायूस बिल्थरारोड नगरपंचायत के वार्ड सं. 8 निवासी छेदीलाल वर्मा ने कहा कि 1 जनवरी 2014 से लापता उनका पुत्र 2017 में सिकंदरपुर के बालूपुर में मिला था। जिसे पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर के दबाव में दूसरे दावेदार सूरज राजभर को सौंप दिया गया। ऐसे में वे उक्त डीएनए रिपोर्ट को चुनौती देते हुए फिर से जांच करने की मांग करेंगे। कहा कि अगर उक्त युवक मेरा बेटा नहीं है तो अधिकारी ही बताएं कि मेरा खोया बेटा कहां है। 

यह है पूरा मामला

उभांव थाने की पुलिस को मई, 2017 में एक मंदबुद्धि बालक मिला। वह अपना नाम, पता बताने में असमर्थ था। पुलिस ने चाइल्ड लाइन के सहयोग से बाल कल्याण समिति के समक्ष 18 मई, 2017 को प्रस्तुत किया। इसके बाद उस बालक को प्राप्त करने के लिए माता-पिता के रूप में दो दावेदार सामने आ गए और अपना साक्ष्य न्यायपीठ, बाल कल्याण समिति को प्रस्तुत किए। पहला दावेदार छेदीलाल वर्मा निवासी पश्चिम पोखरा, वार्ड नं. 8 बिल्थरारोड ने बालक का नाम अमर वर्मा बताकर अपना बेटा बताया। वहीं, दूसरे दावेदार सूरज राजभर निवासी रामगढ़ कठपुरवा, थाना कासिमाबाद जिला गाजीपुर ने साक्ष्य सहित अपना बालक मुसन राजभर होने का दावा किया। न्यायपीठ, बाल कल्याण समिति ने जिला बाल संरक्षण इकाई के माध्यम से दोनों पते पर भेजकर जांच कराई। सामाजिक जांच संरक्षण अधिकारी के जांच में मामला एक अबूझ पहेली के रूप में अधिकारियों के लिए चुनौती बना रहा। दोनों गांव के ग्राम प्रधान व गांव के सैकड़ों लोग बालक को अपने गांव का बताए। शपथ-पत्र भी समिति को प्रस्तुत कर दिए। समिति ने बालक के असली माता-पिता को सौंपने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया।


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