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एक सप्ताह में दुग्ध उत्पादकों को किसान क्रेडिट कार्ड देने के लिए डीएम ने बैंकों को दिए निर्देश

बहुत सी दुग्ध समिति या उत्पादकों के पास किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) नहीं है। इसमें से अगर कोई इच्छुक होगा तो उसे एक सप्ताह में बैंक केसीसी उपलब्ध कराएंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 07:12 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 12:57 AM (IST)
एक सप्ताह में दुग्ध उत्पादकों को किसान क्रेडिट कार्ड देने के लिए डीएम ने बैंकों को दिए निर्देश
एक सप्ताह में दुग्ध उत्पादकों को किसान क्रेडिट कार्ड देने के लिए डीएम ने बैंकों को दिए निर्देश

वाराणसी,जेएनएन। बहुत सी दुग्ध समिति या उत्पादकों के पास किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) नहीं है। इसमें से अगर कोई इच्छुक होगा तो उसे एक सप्ताह में बैंक केसीसी उपलब्ध कराएंगे। जनपद में पंजीकृत 42 दुग्ध समितियों में कई के पास कार्ड नहीं हैं।

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जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने शनिवार को कैंप कार्यालय सभागार में दुग्ध उत्पादकों के क्रेडिट कार्ड बनाए जाने के कार्य के प्रगति की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिए। उन्होंने प्रत्येक पंजीकृत दुग्ध समिति ग्राम पंचायतों में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए दुग्ध उत्पादक सदस्यों की बैठक कराने का निर्देश दुग्ध विकास अधिकारी को दिया। बताया गया कि सेवापुरी ब्लाक में 28 पंजीकृत दुग्ध समितियों में से 12 कार्यरत हैं। जिलाधिकारी ने शेष 16 समितियों को जून में ही सक्रिय किए जाने का निर्देश दिया। कहा दुग्ध उत्पादक समिति के पुनर्गठन, संचालन हेतु आवश्यक धनराशि के लिए शासन को मांग पत्र भेजा जाय। बैठक में क्षेत्रीय दुग्ध विकास अधिकारी, इकाई प्रभारी दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

औने-पौने दाम में बेचकर लागत निकालने की जुगाड़ में लगे दूधिये

लॉकडाउन के दौरान दूध के कारोबार को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है। मांग में भारी गिरावट के कारण पशुपालकों की कमर टूट गई है। दूध, दही, चाय, मिष्ठान्न की दुकानें बंद होने से दूध की बिक्री लॉक हो रही, जिससेे दूधिये परेशान हैं। हालात यह है कि गली -गली घूमकर दूधिये खरीदार खोज रहे है ताकि उनकी लागत निकल जाए और पशुओं के चारे का इंतजाम हो सके। हर वर्ष लग्न के सीजन में दूध के दाम आसमान पर होते थे, वहीं इस बार दूधिये पानी के दाम में दूध बेचने को मजबूर हैैं। दूधिये अब दूध से बने पनीर, दही, खोवा को गलियों में फेरी लगाकर औने-पौने दामों में बेचकर लागत निकालने की जुगाड़ में लगे है। शहर की कई दूध मंडियां इस समय बंद है जिससे उत्पादन के अनुरूप मांग कम है। कमोवेश यही हाल ग्रामीण इलाकों में भी है।  दूध के कारोबार से जुड़ी कंपनियों की हालत खस्ता है। रामनगर स्थित पराग डेयरी के जीएम एके सिंह ने बताया कि अप्रैल में जहां 45 हजार लीटर की खपत थी वह घटकर 25 हजार लीटर हो गई है। मई में लगभग 40 से 45 प्रतिशत की कमी दिखाई दे रही हैं। इस समय दूध की खपत लगभग 13 हजार लीटर के आसपास है।


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