Varanasi में बनेगा धर्मार्थ कार्य निदेशालय, यूपी कैबिनेट से मंजूरी के साथ विभागीय तैयारी होगी तेज
योगी कैबिनेट ने शुक्रवार को धर्मार्थ कार्य विभाग के निदेशालय के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह निदेशालय वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद द्वारा उपलब्ध कराए गए भवन में स्थापित होगा। भविष्य में धर्मार्थ कार्य विभाग और अच्छे से अपना काम कर सकेगा।
वाराणसी, जेएनएन। योगी कैबिनेट ने शुक्रवार को धर्मार्थ कार्य विभाग के निदेशालय के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह निदेशालय वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद द्वारा उपलब्ध कराए गए भवन में स्थापित होगा। इसका उप कार्यालय कैलाश मानसरोवर भवन, गाजियाबाद में होगा। निदेशालय में निदेशक के अलावा दो संयुक्त निदेशक के पद सृजित होंगे। साथ ही लेखाधिकारी, कार्यालय अधीक्षक, स्टेनो/आशुलिपिक, स्थापना सहायक, कंप्यूटर सहायक, ड्राइवर, अनुसेवक आदि पदों का सृजन किया जाएगा।
प्रदेश में धर्मार्थ कार्य विभाग का सृजन वर्ष 1985 में किया गया था। धर्मार्थ कार्य विभाग में अभी तक निदेशालय नहीं था, जिससे धर्मार्थ कार्य विभाग की योजनाओं, परियोजनाओं के संचालन में प्रशासनिक कठिनाइयां होती थीं। करीब 35 साल बाद निदेशालय का गठन किया जा रहा है। इसके गठन से भविष्य में धर्मार्थ कार्य विभाग और अच्छे से अपना काम कर सकेगा।
धर्मार्थ कार्य विभाग प्रदेश में विभिन्न योजनाओं, परियोजनाओं को संचालित करता है। इनमें श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम-1983 का गठन एवं संचालन प्रबंधन, श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद का गठन एवं संचालन, श्री कैलाश मानसरोवर भवन गाजियाबाद का निर्माण एवं प्रबंधन, वैदिक विज्ञान केंद्र बीएचयू वाराणसी, कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा अनुदान महत्वपूर्ण पौराणिक स्थलों को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किया जाना, भिनगाराज संकट मोचन हनुमान जी मंदिर वाराणसी का प्रबंधन भी किया जाता है।
19 दिसंबर 1985 को अलग से धर्माथ कार्य विभाग का सृजन किया गया था
धर्मार्थ संस्थाओं व मंदिरों के व्यवस्थापन से संबंधित कार्यों के निष्पादन के लिए 19 दिसंबर 1985 को अलग से धर्माथ कार्य विभाग का सृजन किया गया था। इसका सिर्फ एक अनुभाग प्रमुख सचिव के नेतृत्व में शासन स्तर पर क्रियाशील है। लगभग साढ़े तीन दशक बाद भी इसका निदेशालय नहीं स्थापित किया जा सका है। बनारस में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना शुरू होने के बाद ही इसकी जरूरत महसूस की गई। मंदिर 1983 में अधिग्रहण के बाद से शासन के ही अधीन है। इसके अलावा बनारस से ही गोरखपुर और विंध्य धाम में भी तीर्थस्थल विकास-विस्तार की ज्यादातर गतिविधियां किसी न किसी स्तर पर निर्भर हैैं। अयोध्या को नया रूप देने के साथ ही जन्म भूमि पर प्रभु श्रीराम का भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण का खाका खींचने के लिए सबसे बड़ी जुटान भी काशी में हुई। यही नहीं धर्म नगरी काशी देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों की श्रद्धा-आस्था का केंद्र होती है।