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वाराणसी में महीने के अंत तक डीजल लगाएगा शतक, पेट्रोल के पखवारे भर में 110 रुपये पहुंचने के आसार

शनिवार को डीजल 97.21 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है पेट्रोल एक सप्ताह पूर्व 100 रुपये को पार करके 105.04 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। जल्‍द डीजल इस माह के अंत तक 100 रुपये प्रति लीटर होगा। वहीं पेट्रोल 110 के पार होगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 10:47 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 10:47 AM (IST)
वाराणसी में महीने के अंत तक डीजल लगाएगा शतक, पेट्रोल के पखवारे भर में 110 रुपये पहुंचने के आसार
अर्थव्यवस्था के जानकारों की माने तो पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी होने की गुंजाइश कम ही है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी का लगभग दौर खत्म होने के बाद से डीजल और पेट्रोल ने क्रमशः 35 पैसे और 34 पैसे बढ़ते हुए अपने प्रतिलीटर दामों में काफी उचाइयां छू लिया है। यह बढ़ोतरी हाल फिलहाल कभी भी रुपये में नहीं हुई है। शनिवार को जहां डीजल 97.21 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है वहीं पेट्रोल एक सप्ताह पूर्व 100 रुपये को पार करके 105.04 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। दामों के बढ़ने की गति अगर यही रही तो डीजल इस माह के अंत तक 100 रुपये प्रति लीटर होगा। वहीं पेट्रोल 110 के पार होगा। हालांकि एक पैसा कम बढ़ोतरी के चलते इसे 110 रुपये तक पहुंचने में एक पखवारा लगेगा। अर्थव्यवस्था के जानकारों की माने तो पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी होने की गुंजाइश कम ही है।

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जानें अर्थशास्त्रीय पहलू : अर्थ शास्त्र में मांग किसी वस्तु एवं सेवा की वह मात्रा होती है जिसे उस वस्तु या सेवा के उपभोक्ता भिन्न दामों पर खरीदने को तैयार हों। आमतौर पर अगर कीमत अधिक हो तो वह वस्तु/सेवा कम मात्रा में खरीदी जाती है और यदि कीमत कम हो तो अधिक मात्रा में। इसलिए अक्सर किसी क्षेत्र के बाजार में किसी वस्तु या सेवा की मांग को उसके मांग वक्र के रूप में दर्शाया जाता है। मांग वक्र केवल एक उपभोक्ता के लिए भी देखा जा सकता है और यह उपयोगिता पर आधारित है, यानि वह संतुष्टि जो किसी उपभोक्ता को किसी माल या सेवा के उपभोग से मिलती है।

उदाहरण के लिए यदि पेट्रोल महंगा हो तो उपभोक्ता उसका प्रयोग बचकर करता है। वहीं जब थोड़ा-सा सस्ता हो जाए, तो उसका प्रयोग अधिक खुलकर करता है। अगर पेट्रोल बिलकुल मुफ्त कर दिया जाए, तो उसकी खपत पर उपभोक्ता कोई भी अंकुश नहीं लगाता। यह तथ्य ह्रासमान प्रतिफल के सिद्धांत के नाम से जाना जाता है - किसी भी माल या सेवा की उपयोगिता उसकी बढ़ती मात्रा में खपत से घटती जाती है। यही घटती उपयोगिता उस उपभोक्ता द्वारा कीमत देने की सम्मति में दिखती है। अधिक कीमत पर उपभोक्ता कम खरीदता है और कम कीमत पर अधिक।


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