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वाराणसी के बीएचयू ट्रामा सेंटर में 200 मरीजों और तीमारदारों को ठहरने के लिए बन रहा धर्मशाला

चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू के ट्रामा सेंटर में आने वाले मरीजों एवं उनके तीमारदारों को रात्रि विश्राम या ठहरने के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। करीब 200 मरीजों व तीमारदारों के ठहरने के लिए ट्रामा सेंटर में धर्मशाला बन रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 06:40 AM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 06:40 AM (IST)
एक करोड़ की लागत से बन रही नई धर्मशाला

जागरण संवाददाता, वाराणसी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के ट्रामा सेंटर में आने वाले मरीजों एवं उनके तीमारदारों को रात्रि विश्राम या ठहरने के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। करीब 200 मरीजों व तीमारदारों के ठहरने के लिए ट्रामा सेंटर में धर्मशाला बन रही है। इसका निर्माण इसी साल पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा प्रशासन ने पहले से ही एचडीएफसी बैंक की ओर से बने आश्रय में चौकियां बिछा दी हैं। मच्छरों से बचाव के लिए खिड़की-दरवाजे पर जाली भी लगा दी गई है।

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ट्रामा सेंटर में वाराणसी के साथ ही आसपास के जिलों, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड के भी मरीज आते हैं। 334 बेड के इस ट्रामा सेंटर एवं सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय में तीन विभागों आर्थोपेडिक, न्यूरो सर्जरी व प्लास्टिक सर्जरी विभाग की ओपीडी व आइपीडी की भी सुविधा हैं। दूर-दराज से आए मरीजों के तीमारदारों को ठहरने के लिए परेशान होना पड़ता है। मजबूरी में उन्हें किसी होटल या लाज में अधिक राशि खर्च कर ठहरना पड़ता है। उनकी इन समस्या को दूर करने के लिए धर्मशाला तैयार की जा रही है।

इसका शनिवार को कार्यवाहक कुलपति प्रो. वीके शुक्ला, आइएमएस के निदेशक प्रो. बीआर मित्तल व ट्रामा सेंटर के आचार्य प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह ने निरीक्षण किया। प्रो. सिंह ने बताया कि पहले से बने आश्रय में ठहरने वालों के लिए सुविधाएं बढ़ा दी गई है। इसके लिए 20 चौकी बिछाई गई हैं ताकि मरीज व उनके परिजन आराम कर सकें। धर्मशाला भी इसी साल बनकर तैयार हो जाएगी।

बीएचयू में अभी भी ब्लैक फंगस के 28 मरीजों का चल रहा इलाज

बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल स्थित शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में ब्लैक फंगस के 28 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। उनकी स्थिति अब बहुत बेहतर है। इसलिए चिकित्सक उन्हें घर जाने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि कुछ मरीज मुफ्त में दवाएं मिलने के कारण घर जाने से बच रहे हैं। वैश्विक महामारी कोरोना ने दूसरी लहर में जमकर तबाही मचाई। कोरोना की लहर थमने के बाद इसका कहर साइड इफेक्ट के रूप में ब्लैक फंगस बनकर अभी तक मरीजों पर टूटा। नई के दूसरे सप्ताह से मरीजों के आने का सिलसिला शुरू हुआ और रोजाना तीन से पांच मरीज आए।


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