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भक्तों की अगवानी के लिए तैयार होने लगे देव दरबार, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के द्वार पर बनाए गए घेरे

केंद्र सरकार आठ जून से मंदिरों को खोलने की घोषणा कर चुकी है। वहीं श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में गुरुवार को शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिहाज से सभी द्वारों पर चूने से घेरा बनाया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 11:30 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 05:29 PM (IST)
भक्तों की अगवानी के लिए तैयार होने लगे देव दरबार, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के द्वार पर बनाए गए घेरे
भक्तों की अगवानी के लिए तैयार होने लगे देव दरबार, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के द्वार पर बनाए गए घेरे

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संकट के कारण दो माह से बंद चल रहे देवालय भक्तों की अगवानी के लिए तैयार होने लगे हैैं। इसमें सुरक्षा का मसला बेहद महत्वपूर्ण है। इसे देखते हुए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में गुरुवार को शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिहाज से सभी द्वारों पर चूने से घेरा बनाया गया। इसमें दो-दो मीटर की दूरी बनाई गई। मंदिर में प्रवेश से पहले सैनिटाइजेशन के लिए द्वार पर ही हाथ धुलाने की भी व्यवस्था की गई।

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तैयारियां पूरी होने के बाद मंदिरों को खोलने पर होगा विचार

इसके अलावा अन्नपूर्णा मठ मंदिर, संकट मोचन मंदिर, कालभैरव दरबार, दुर्गाकुंड समेत अन्य मंदिरों में तैयारियों का खाका खींचा जा रहा है। हालांकि अभी इस संबंध में जिला प्रशासन की ओर से तिथि के संबंध में कोई लिखित दिशा-निर्देश तो नहीं दिया गया है लेकिन माना जा रहे है कि संकेत दे दिए गए हैैं। तैयारियां पूरी होने के बाद इसकी समीक्षा कर मंदिरों को खोलने पर विचार किया जाएगा। वैसे केंद्र सरकार आठ जून से मंदिरों को खोलने की घोषणा कर चुकी है।  

धार्मिक स्थल के लिए नई गाइडलाइन

लॉकडाउन के बाद अब देश धीरे-धीरे खुल रहा है। 8 जून से होटल, रेस्टोरेंट और धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए खुल जाएंगे। लेकिन यहां जाने के लिए आपको नियमों का पालन करना होगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी है। बता दें कि गृह मंत्रालय ने कंटेनमेंट जोन को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में धर्मस्थलों, मॉल, रेस्टोरेंट और होटल खोलने की अनुमति दी थी। अनलॉक- 1 के तहत 8 जून से इन जगहों को खोलने की सरकार ने इजाजत दी थी।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को कामकाज को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि गर्भवती महिलाएं, 65 साल से ऊपर के लोग और ऐसे लोग जिन्हें पहले से गंभीर बीमारियां हों, वे काम पर जाने से बचें। वर्क प्लेस पर शारीरिक दूरी, सफाई, सैनिटाइजेशन की बात भी गाइडलाइन में कही गई है। इसमें कहा गया है कि दफ्तरों में थूकने पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए।

कंटेनमेंट जोनों के भीतर स्थित धार्मिक स्थल अभी बंद रहेंगे

कंटेनमेंट जोनों के भीतर स्थित धार्मिक स्थल अभी बंद रहेंगे जबकि इसके बाहर स्थित धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति होगी। मंत्रालय का कहना है कि प्रार्थना स्थलों पर अक्सर बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं, लिहाजा महत्वपूर्ण है कि इन परिसरों में शारीरिक दूरी और अन्य एहतियाती उपायों का पालन किया जाए। एसओपी के मुताबिक धार्मिक स्थलों पर रिकॉर्डेड भक्ति संगीत बजाया जा सकता है, लेकिन संक्रमण के खतरे से बचने के लिए समूह में गाने की अनुमति नहीं होगी।

धर्मस्थलों पर प्रसाद जैसी भेंट नहीं चढ़ाई जाएंगी

श्रद्धालुओं को धर्मस्थल पर सार्वजनिक आसन इस्तेमाल करने के स्थान पर अपना आसन या चटाई लानी होगी और उसे अपने साथ ही वापस ले जाना होगा। धर्मस्थलों पर प्रसाद जैसी भेंट नहीं चढ़ाई जाएंगी और न ही पवित्र जल का छिड़काव या वितरण किया जाएगा। सामुदायिक रसोई, लंगर और अन्न दान इत्यादि की तैयारी और भोजन के वितरण में शारीरिक दूरी के मानकों का पालन किया जाएगा।

हैंड सैनिटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग जरूरी

सभी धर्मस्थल प्रवेश द्वार पर अनिवार्य रूप से हैंड सैनिटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा वहां सिर्फ बिना लक्षणों वाले मास्क लगाए श्रद्धालुओं को ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। श्रद्धालुओं को साबुन से हाथ-पैर धोकर परिसर में जाने के लिए कहा गया है। धर्मस्थल पर प्रतिमाओं और धार्मिक पुस्तकों को छूने की अनुमति नहीं होगी।कोविड-19 के एहतियाती उपायों के बारे में ऑडियो-वीडियो के जरिये जागरूकता भी फैलाई जाएगी।

जूते-चप्पलों को अपने वाहन में ही उतारना पड़ेगा

संभव हो तो श्रद्धालु अपने जूते-चप्पलों को अपने वाहन में ही उतारेंगे। लेकिन जरूरत पड़ने पर व्यक्ति या परिवार के जूते-चप्पलों को श्रद्धालु द्वारा स्वयं अलग स्लॉट में रखा जाएगा। धर्मस्थल के भीतर या बाहर स्थित दुकानों, स्टॉलों और कैफेटेरिया में शारीरिक दूरी मानकों का हर समय पालन करना होगा। एयर कंडीशन और वेंटीलेशन के बारे में कहा गया है कि तापमान 24 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच होना चाहिए और रिलेटिव ह्यूमिडिटी यानी सापेक्षिक आ‌र्द्रता 40 से 70 फीसद के बीच होनी चाहिए। धर्मस्थल प्रबंधन को नियमित रूप से फर्श और अन्य सतहों की सफाई करानी होगी और डिसइंफेक्शन कराना होगा।


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