वाराणसी का ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग, विश्व वैदिक सनातन संघ ने दर्ज किया मुकदमा
ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के नाम से मुकदमा दाखिल किया गया है। यह मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह ने दाखिल किया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के नाम से मुकदमा दाखिल किया गया है। यह मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह ने दाखिल किया है। इसमें उन्होंने मांग किया है कि ज्ञानवापी परिसर में तत्काल प्रभाव से मुस्लिम पक्ष का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए। ज्ञानवापी का पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए। भगवान आदि विश्वेश्वर स्वयंभू ज्योर्तिलिंग जो अब सबके सामने प्रकट हो चुके हैं उनकी तत्काल पूजा-पाठ शुरू करने की इजाजत दी जाए। अदालत ने प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई के लिए 25 मई की तिथि तय की है।
हिंदू सेना ने दिया प्रार्थना पत्र
ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में चल रहे मुकदमे में पक्षकार बनने के लिए हिंदू सेना ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है। प्रार्थना पत्र अली गांव, सरिता विहार नई दिल्ली के रहने वाले हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दिया गया है। इसमें कहा गया है कि वो सामाजिक कार्यकर्ता और सनातन धर्म को मानने वाले हैं। भगवान शिव के प्रति उनकी आस्था है।
ज्ञानवापी मामले में पहले होगी मुकदमे की पोषणीयता की सुनवाई
ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में सबसे पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई होगी। यह आदेश जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने मंगलवार को दिया। इसके साथ ही उन्होंने एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट की प्रति वादी और प्रतिवादी पक्ष को देने आदेश दिया है। इस पर आपत्ति के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। इस मुकदमे में पक्षकार बनने के लिए हिंदू सेना ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है।
वहीं विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतराष्ट्रीय महामंत्री किरन सिंह ने सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में भगवान आदिविश्ववेश्वर विराजमान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के नाम से वाद दाखिल किया है।
जिला जज ने अपने आदेश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने को कहा था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए निर्देश के अनुपालन में इस न्यायालय के लिए यह आवश्यक है कि प्राथमिकता के आधार पर प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के प्रार्थना पत्र का निस्तारण किया जाए। इसके बाद मुकदमे से जुड़े अन्य प्रार्थना पत्रों का निस्तारण किया जा सकता है।
पूर्व पीठासीन अधिकारी सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने 19 मई 2022 को कमिशन रिपोर्ट पर पक्षकारों से आपत्तियां आमंत्रित की थीं। उक्त आदेश वर्तमान में प्रभावी है। दोनों पक्ष सात दिन में कमीशन रिपोर्ट पर आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं। आदेश में जिक्र है कि अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से इस आशय का प्रार्थना पत्र दाखिला किया गया था कि उक्त वाद निरस्त होने लायक है। सिविल जज सीनियर डिविजन ने आठ अप्रैल 2022 को आदेश पारित करते हुए यह अवधारित किया था कि मुकदमे की पोषणीयता (आदेश 7 नियम 11 सीपीसी) के प्रार्थना पत्र के संबंध में दी गयी विधि व्यवस्था वर्तमान वाद के तथ्यों और परिस्थितियों से भिन्न है। अदालत ने मौके की कमीशन रिपोर्ट के संबंध में वादी पक्ष की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया था। इस आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी। हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल 2022 को इस याचिका को निरस्त कर दिया था।
इसके बाद प्रतिवादी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में सिविल जज के आदेश को चुनौती देते हुए वाद की पोषणीयता की पहले सुनवाई करने की अपील की। 20 मई 2022 को सुप्रीम ने आदेश पारित करते हुए उक्त मुकदमा सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत से जिला जज के न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया। साथ ही यह निर्देश दिया कि प्रतिवादी की ओर से प्रस्तु प्रार्थना पत्र (वाद की पोषणीयता) की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए।
नकल देने का दिया आदेश एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट अदालत में दाखिल होने के बाद वादी पक्ष ने इसके नकल की मांग की थी। इस पर अदालत ने मौखिक आदेश किया था। इस पर वादी पक्ष के वकील ने प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें कहा था कि अदालत एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट के साथ दाखिल वीडियोग्राफा व फोटोग्राफ की नकल देने का स्पष्ट आदेश नहीं करेगी तब तक उन्हें नकल नहीं मिल सकेगी। इस पर जिला जज की अदालत ने आदेश दिया कि एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट के साथ दाखिल वीडीयोग्राफ व फोटोग्राफ की प्रतिलिपियां इलेक्ट्रानिक फार्म (काम्पैक्ट डिस्क) के माध्यम से प्रदान की जाए। जिससे उन्हें कमिश्नर रिपोर्ट पर आपत्ति दाखिल करने में असुविधा ना हो।
हमारी मांग थी कि पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई हो
हमारी मांग थी कि पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई हो। सुप्रीम कोर्ट का भी यही निर्देश था। अदालत की ओर से इसे स्वीकार किया गया है। यह बिल्कुल विधि सम्मत है। इसका हम स्वागत करते हैं।
- अभय नाथ यादव, वकील प्रतिवादी पक्ष
अदालत ने पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई करने का निर्देश दिया है
अदालत ने पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई करने का निर्देश दिया है। अन्य प्रार्थना पत्र पर इसके बाद सुनवाई होगी। एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट पर भी आपत्ति का समय तय किया गया है। हम इसके लिए अपनी तैयारी कर रहे हैं।
- विष्णु जैन, वकील वादी पक्ष