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कोरोना संक्रमण काल में भी विदेशों से वाराणसी के उत्पादों की मांग बढ़ी, मैन पावर की कमी से उत्पादन पर असर

इस बार भी कारोबार प्रभावित हो रहा है। हालांकि इस बार विदेशों से उत्पादों की मांग में कमी नहीं आई है। विभिन्न देशों से मांग बढ़ी है और ट्रांसपोटेशन भी बेहतर है। बावजूद इसके मौन पावर की कमी के कारण उत्पादन पर 40-50 फीसद तक असर पड़ा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 09:34 AM (IST)
कोरोना संक्रमण काल में भी विदेशों से वाराणसी के उत्पादों की मांग बढ़ी, मैन पावर की कमी से उत्पादन पर असर
वाराणसी से सिल्क, कारपेट, लकड़ी के खिलौने, ग्लास बिड्स, मिट्टी व पत्थर के मोती आदि का निर्यात किया जाता है।

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। काशी क्षेत्र से सिल्क, कारपेट, लकड़ी के खिलौने, ग्लास बिड्स, मिट्टी व पत्थर के मोती आदि का विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता है। वैसे वैश्विक महामहारी के कारण इस बार भी कारोबार प्रभावित हो रहा है। हालांकि इस बार विदेशों से उत्पादों की मांग में कमी नहीं आई है। विभिन्न देशों से मांग बढ़ी है और ट्रांसपोटेशन भी बेहतर है। बावजूद इसके मौन पावर की कमी के कारण उत्पादन पर 40-50 फीसद तक असर पड़ा है। यही वजह है कि यहां के उद्यमी मांग की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।

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काशी की लगभग सभी बड़ी औद्योगिक इकाइयां श्रम शक्ति की मार झेल रही है। इकाइयों में 30 से 40 फीसद कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। कारण कि या तो वे खुद संक्रमित हैं या फिर उनके स्वजन कोरोना की चपेट में। इसमें ऐसे भी कर्मचारी शामिल हैं जो कोरोना के डर से अपने घर चले गए हैं। रामनगर एक प्लास्टिक बैग उत्पाद करने वाली इकाई की ही बात की जाएं तो यहां से पहले जहां एक माह में 20 से 22 टन माल निर्यात होता था वहीं अब घटकर 10 टन तक आ गया है, क्योंकि उत्पादन ही कम हो रहा है। यहां पर रूस, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन आदि देशों से लगातार डिमांड आ रही है। वहीं चांदपुर स्थित बनारस बिड्स की ही बात की जाए तो यहां पर भी करीब 40 फीसद तक उत्पादन कम हो गया है। यहां से भी यूरोप, अफ्रीका से लगातार आर्डर आ रहे हैं

15 अप्रैल के बाद बढ़ी यह समस्या

पिछले साल कोरोना के कारण डूब चुका कारोबार अक्टूबर 2020 से ही पटरी पर लौट आया था। नवंबर तक था करोबार की गाड़ी ने स्पीड भी पकड़ ली थी, जो पिछले माह तक काफी तेजी से चल रही थी। कोरोना की दूसरी लहर के कारण अचानक ही 15 अप्रैल के बाद फिर से कोरोबार पटरी से उतर गया। हालांकि उद्यमियों को उम्मीद है कि मई के अंत या अगले माह से स्थिति में कुछ सुधार होगा। जब स्थिति सामान्य होगी तो उत्पादन भी बढ़ने लगेगा।

काशी के उत्पादों की विदशों से मांग में कमी नहीं आई

काशी के उत्पादों की विदशों से मांग में कमी नहीं आई है। न ही मूवमेंट में कोई परेशानी है। हां, कोरोना के कारण 40 फीसद से अधिक उत्पाद पर जरूर असर पड़ा है। हालांकि कम श्रम शक्ति से भी उत्पादन का संतुलन बनाए रखने का प्रयास जारी है। पूरा भरोसा है कि अगले माह से स्थिति में सुधार होते ही उत्पादन व निर्यात बढ़ जाएगा।

- आरके चौधरी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएश

कोरोना के कारण 40-50 फीसद तक निर्यात घट गया

वाराणसी एवं आसपास के जिलों से प्रमुख रूप से सिल्क, कारपेट, लकड़ी के खिलौने, ग्लास बिड्स, मिट्टी, पत्थर के मोती का निर्यात होता है। एक माह में लगभग 200 करोड़ का उत्पादन निर्यात होता है, लेकिन कोरोना के कारण 40-50 फीसद तक निर्यात घट गया है। यह समस्या मैन पावर में आई कमी के कारण बढ़ी है। उम्मीद है कि जल्द ही इस समस्या से सभी उद्यमी उबरेंगे।

- अशोक कुमार गुप्ता, अध्यक्ष, बनारस इंडस्ट्रियल एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन


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