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Varanasi Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में दायर दो नए वादों पर बहस पूरी, फैसला 20 सितंबर को

Varanasi Gyanvapi Case ज्ञानवापी परिसर स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ व श्रीनंदी महाराज की ओर से पक्षकारों द्वारा दायर दो नए वादों की पोषणीयता की बिंदु पर गुरुवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में बहस पूरी हो गई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 07:39 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 07:47 PM (IST)
Varanasi Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में दायर दो नए वादों पर बहस पूरी, फैसला 20 सितंबर को
अदालत ने फैसला सुनाने के लिए 20 सितंबर की तिथि मुकर्रर की है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। Varanasi Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ व श्रीनंदी महाराज की ओर से पक्षकारों द्वारा दायर दो नए वादों की पोषणीयता की बिंदु पर गुरुवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में बहस पूरी हो गई। सिविल जज ने पक्षकारों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। अदालत ने फैसला सुनाने के लिए 20 सितंबर की तिथि मुकर्रर की है।

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सुनवाई के दौरान ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वर की तरफ से पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने दलील दी कि सतयुग से पहले भगवान शिव ने स्वयं ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी, जो शाश्वत है और वह नष्ट नही हो सकता। मुगल शासक औरंगजेब द्वारा मंदिर को तोड़ दिया गया था, लेकिन उसके नीचे शिवलिंग नहीं टूटा। उसी पर मस्जिद का ढांचा बना दिया गया। वेद पुराणों में ज्ञानवापी क्षेत्र में आदि विश्वेश्वर नाथ के मंदिर होने का वर्णन हैं। हिंदुओ को ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वरनाथ की पूजा-पाठ करने का पूरा अधिकार है। प्रदेश सरकार द्वारा साल 1983 में काशी विश्वनाथ एक्ट बना, जिसमें हिंदुओ को पूजा पाठ का अधिकार दिया गया। ऐसे में आदि विश्वेश्वरनाथ के मूल स्थान पर नया मंदिर बनाने की इजाजत मिलनी चाहिए।

हिंदुओं के प्रवेश व पूजा पाठ में हस्तक्षेप करने से रोकने का भी कोर्ट से अनुरोध किया गया। दूसरे वाद श्रीनंदी महाराज की तरफ से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने कहा कि नंदी भगवान शिव की सवारी और उनके सेवक है। जहां शिव हैं वहां नन्दी विराजमान रहते हैं। सदियों से उपेक्षित श्रीनंदी का भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ से साक्षात्कार सुनिश्चित कराने और भगवान शिव के पूजा-अर्चना करने का भक्तों का अधिकार है। अदालत से पूजा पाठ और मंदिर की धार्मिंक रस्म करने की अनुमति मांगी गई और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को आदेशित करने के लिए कहा गया कि वर्तमान ढांचा हटने के बाद नए मंदिर के निर्माण व रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाए।

अदालत में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से रईस अहमद अंसारी, एखलाख अहमद और मुमताज अहमद ने कहा कि उक्त मामले में वक्फ बोर्ड को पक्ष नहीं बनाया जा सकता। ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। वक्फ की संपत्ति की सुनवाई का क्षेत्राधिकार लखनऊ स्थित वक्फ न्यायाधिकरण को है। ऐसे में सिविल जज की अदालत में उक्त दावा की सुनवाई नहीं की जा सकती। अदालत ने दोनों पक्षो की दलीलें सुनने के बाद आदेश के लिए 20 सितंबर की तिथि नियत कर दी।सुनवाई के दौरान आिद विश्वेश्वर नाथ की ओर से पक्षकार महंत पं. शिवप्रसाद पांडेय, सुबे सिंह यादव व संतोष कुमार सिंह व श्रीनंदी महाराज की ओर से पक्षकार सितेंद्र चौधरी, अखिलेश कुमार दुबे, विनोद यादव व रवि शंकर द्विवेदी अदालत में मौजूद थे।


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