लाश के पास आठ रोज सोती और खाती-पीती रहीं दो बहनें, जानकर दास्तान हर कोई हैरान
मुंशी घाट पर एक मकान को खुलवाने का प्रयास किया, काफी प्रयास के बाद जब तोड़ने पर दरवाजा खुला तो मकान के अन्दर एक व्यक्ति की लाश बरामद हुई जो सड़ रही थी।
वाराणसी (जेएनएन) । अगर आप कमजोर दिल के हैं तो यह खबर आपको झकझोर और विचलित कर सकती है। दशाश्वमेध इलाके के पास बंगाली टोला में दो सगी बहनें आठ रोज तक घर के भीतर एक पुरुष के शव के पास सोती और खाती-पीती रहीं। यह पुरुष इनमें एक महिला का पति था। भयानक बदबू फैलने पर पड़ोसियों की सूचना पर रविवार शाम पुलिस ने दरवाजा खुलवाया तो इस वीभत्स घटनाक्रम का पता चला।
बंगाली टोला में रहने वाले कोयला काराबोरी काली बाबू बनर्जी का 1959 में निधन हो गया था। 2006 में उनकी पत्नी भी चल बसीं। उनकी तीन बेटियों में एक पुत्री का भी बरसों पहले देहांत हो गया था। अब घर में उनकी दो बेटियां 70 वर्षीय सुनंदा, 62 वर्षीय सुचित्रा और सुचित्रा के पति तरुण कांति (65) रहते थे। सुचित्रा और तरुण कांति की कोई औलाद नहीं थी। अविवाहित सुनंदा 10 साल पहले इंदिरा गांधी इंटर कॉलेज के शिक्षक पद से रिटायर हुई थीं। पड़ोसियों से इन दो बहनों और तरुण कांति का मिलना-जुलना या बोलचाल नहीं था। वे तीनों घर तक ही सीमित रहते। दोनों बहनें खाने का सामान भी मोहल्ले के लड़कों को पैसे देकर बाहर से मंगाती थीं। इधर करीब पांच-छह दिन से घर से बदबू आ रही थी। असहनीय दुर्गंध होने पर शनिवार को पड़ोसियों ने खबर दी तो पार्षद नरसिंह दास और मुखर्जी ने दशाश्वमेध पुलिस को बुलाया।
पुलिस पर बहनों ने तान दिया डंडा
मकान का दरवाजा हल्का खुला था। चौकी प्रभारी पवन कुमार दरवाजा खोलकर सिपाहियों के साथ अंदर गए तो दोनों बुजुर्ग बहनों ने पुलिसवालों को बाहर निकलने के लिए कहते हुए डंडा तान लिया। पुलिसकर्मियों को घर के भीतर दो बंदर मरे दिखे तो पहले यही समझा गया कि भारी बदबू की वजह यही है। मगर वे अंदर कमरे में गए तो चादर के नीचे पुरुष का सड़ चुका पैर देखकर सन्न रह गए।
सड़ चुके शव से लिपट गईं दोनों
पुलिसवालों ने चादर हटाया तो तरुण कांति का शव दिखा। भयानक बदबू उससे ही फैल रही थी। दोनों बहनें पुलिसवालों को जाने के लिए कहते हुए शव पर चादर डालकर लिपट गईं। वहां आसपास भारी गंदगी फैली थी। ऐसी गंदगी और दुर्गंध जैसे नगर निगम का कूड़ाघर हो जहां किसी को भी उल्टी हो जाए। घर से काफी दूर तक ऐसी बदबू थी कि लोगों ने नाक पर रुमाल रख लिया था। आसपास बिस्किट, नमकीन समेत खाने की वस्तुओं के पैकेट, पन्नियां भी फैली थीं। इससे साफ हुआ कि दोनों बहनें बाहर से खाना मंगाकर शव के पास ही खाती थीं। चौकी प्रभारी ने घटना के बारे में बताया तो थाना प्रभारी बालकृष्ण शुक्ल भी आए और शव को बाहर निकालने के लिए सफाई कर्मियों को बुलाया गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम हाऊस भेज दिया। पुलिस का मानना है कि तरुण कांति की मौत करीब 10 रोज पहले हुई होगी क्योंकि पांच-छह रोज से लोगों को दुर्गंध का अहसास हो रहा था। हालांकि शव में सडऩ तीन-चार दिन बाद शुरू होती है। मौत का कारण और सही समय पोस्टमार्टम से साफ होगा।
जानवरों से लगाव, पड़ोसियों से बैर
आसपास के लोगों ने बताया कि पिछले 30-40 सालों में तरुण, उसकी पत्नी सुचित्रा और साली सुनंदा ने किसी से मेलजोल नहीं बनाया। न किसी से बात करती न पड़ोसियों के घर जातीं। अपने घर में ही वे तीनों कैद रहते। सच तो यह है कि उनका लगाव मनुष्यों से ज्यादा जानवरों से रहा। दोनों बहनें कुत्तों, बिल्ली, बंदरों को घर में खाना देतीं थीं। ऐसे में उनके घर में ये तीनों जानवर घुसे रहते और गंदगी करते। ऐतराज करने पर वे पड़ोसियों को खरी-खोटी सुनातीं। उन दोनों को यह भी डर था कि पड़ोसी उनके मकान को हड़प सकते हैं।
काली पूजा पर निकलीं सुनंदा पर बताया नहीं
मोहल्ले के भोला चटर्जी ने बताया कि वे इस परिवार को 50 साल से जानते हैं मगर उनसे भी बोलचाल नहीं थी। उन्होंने हैरानी जताई कि दिवाली से एक रोज पहले काली पूजा पर सुनंदा मंदिर आई थी लेकिन प्रसाद लेकर चुपचाप चली गई थीं। माना गया है कि तरुण कांति की मौत आठ रोज पहले हो गई थी यानी सुनंदा पांच रोज पहले मंदिर आई तो घर में तरुण का शव था लेकिन वह चुप्पी साधे रहीं। पड़ोसियों के मुताबिक, मां की मौत होने पर भी वे इसी तरह कई दिन तक शव को छिपाए रहीं। बदबू फैलने पर तब भी मौत का पता चला था।