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लोटनल विधि से होगी अगेती सब्जी की खेती, किसान पंकज राय कर रहे आधुनिक प्रयोग

नेटशेड हाउस के संचालक व प्रगतिशील किसान पंकज राय अपनी आर्गेनिक सब्जी में नई-नई तकनीकी का प्रयोग करते रहते हैं ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा लिया जा सके। इस बार उन्होंने लोटनल लगाकर गर्मी की सब्जी समय से पूर्व तैयार कर रहे हैं।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 08:08 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 08:08 AM (IST)
लोटनल विधि से होगी अगेती सब्जी की खेती, किसान पंकज राय कर रहे आधुनिक प्रयोग
लोटनल लगाकर गर्मी की सब्जी समय से पूर्व तैयार कर रहे हैं।

गाजीपुर, जेएनएन। नेटशेड हाउस के संचालक व प्रगतिशील किसान पंकज राय अपनी आर्गेनिक सब्जी में नई-नई तकनीकी का प्रयोग करते रहते हैं, ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा लिया जा सके। इस बार उन्होंने लोटनल लगाकर गर्मी की सब्जी समय से पूर्व तैयार कर रहे हैं। गर्मी की सब्जी करैला, लौकी, नेनुआ, तरबूज व खीरा आदि लोटनल में तैयार हो रहा है। मार्च आते ही सब्जी के पौधे फल देना शुरू कर देंगे जिससे मुनाफा काफी अधिक होगा। 

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करीमुद्दीनुपर निवासी पंकज राय ने बताया कि लोटनल बनवाने के लिए एक बीघे खेत में लगभग चार हजार रुपये का पतला ऊनी कपड़ा और 72 किग्रा लोहे का सरिया की आवश्यकता होती है। सरिया को अर्धचंद्राकार मोड़ दिया जाता है और उसके ऊपर पतला ऊनी कपड़ा डाल दिया जाता है। इस कपड़े की विशेषता होती है कि इसमें रोशनी पर्याप्त मात्रा में जाती है लेकिन ठंड और कोहरे का प्रकोप नहीं रहता है। सामान्य तापमान होने से पौधे का विकास अधिक होता है। बिना लोटनल के समय पूर्व सब्जी की तैयारी कैसे होती है? इस पर उन्होंने कहा कि अगर लोटनल नहीं रहेगा तो गर्मी की सब्जी की नवंबर माह में बोआई कर दी जाती है।

इसके बाद इसके रख-रखाव में काफी खर्च लगता है। उम्र अधिक हो जाने से केवल एक महीने ही सब्जी निकल पाती है जिससे बहुत अधिक फायदा नहीं मिलता। लोटनल के प्रयोग से गर्मी की सब्जी की बोआई जनवरी में कर दी जाती है जिससे समय की तो बचत होती ही है एक फसल अतिरिक्त ले लिया जाता है। पंकज बताते हैं कि लोटनल में पौधे का विकास तेजी से होता है और कीड़े भी नही लगते हैं। उन्होंने बताया कि गर्मी की सब्जी में फायदा तभी होगा जब उसे समय से पहले तैयार किया जाए। इसके अतिरिक्त लोटनल बरसात की नर्सरी में भी पौधों को पानी से सुरक्षा प्रदान करता है। लोटनल का प्रयोग किसानों के लिए वरदान साबित होगा। 


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