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मूंग की खेती से उत्पादन संग बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति, खाली खेतों में किसान करें बोआई

आलू की खोदाई व अगेती सरसों की कटाई के बाद खाली खेतों में गर्मी के मूंग की खेती कर अतिरिक्त लाभ हासिल की जा सकती है। इससे अतिरिक्त फसल का लाभ मिलता है तो खेत की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में भी काफी मदद मिलती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 05:44 PM (IST)
खाली खेतों में गर्मी के मूंग की खेती कर अतिरिक्त लाभ हासिल की जा सकती है।

भदोही, जेएनएन। आलू की खोदाई व अगेती सरसों की कटाई के बाद खाली खेतों में गर्मी के मूंग की खेती कर अतिरिक्त लाभ हासिल की जा सकती है। इससे अतिरिक्त फसल का लाभ मिलता है तो खेत की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में भी काफी मदद मिलती है। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञ डा. आरपी चौधरी ने बताया कि बोआई का माकूल समय चल रहा है। 

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कैसे करें मूंग की बोआई

- गर्मी की मूंग की बेहतर पैदावार के लिए मूंग की बोआई हर हाल में 10 अप्रैल तक कर दी जानी चाहिए। वैसे पूरे अप्रैल तक बोआई की जा सकती है। बोआई के लिए प्रति हेक्टेयर 25 किलो बीज पर्याप्त है। क्षेत्र की मिट्टी के अनुरूप नरेंद्र मूंग-1, सम्राट, मालवीय ज्योति, मालवीय जनप्रिया, पूसा विशाल, मेघा की बोआई करना सबसे उत्तम होगा। खेत की अच्छी तरह जोताई कराने के बाद पंक्ति से पंक्ति की 20 से 25 सेमी व पौध से पौध की दूरी 6 से 8 सेमी होनी चाहिए। मूंग की इन प्रजाति के बीजों की बोआई कर किसान औसतन 12 से 15 क्विंअल की पैदावार हासिल कर सकते हैं। बोआई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।

कैसे करें उर्वरक प्रबंधन

- प्रति हेक्टेयर मूंग की बोआई में 20 से 25 टन गोबर की खाद के साथ 80 किलो डीएपी व 20 किलो सल्फर की जरूरत होती है। पूरी मात्रा बोआई के समय ही उपयोग करना चाहिए। ध्यान रहे कि बोआई के दो दिन पहले बीज को विशिष्ट राइजोबियम कल्चर तथा पीएसबी (फास्फेटिका) कल्चर से उपचारित करने के बाद बोना चाहिए। कार्बेंडाजिम 2.5 ग्राम अथवा ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम दवा से प्रति किलो बीज को शोधित किया जा सकता है। बीज शोधन से अंकुरण बेहतर होता है। तो पौधे भी स्वस्थ रहते हैं।

कैसे करें खर-पतवार नियंत्रण

- फसल में खर पतवार न होने पाए इसके लिए किसान बोआई के 36 घंटे के भीतर 3.3 लीटर पेंडीमेथालीन 30इसी दवा को छह सौ लीटर पानी में घोल तैयार कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं। अथवा प्रथम सिंचाई के बाद अच्छी तरह गुड़ाई कराकर खर पतवार निकाल देना चाहिए। मूंग फसल में तीन सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली ङ्क्षसचाई बोआई के 25 दिन बाद ही करनी चाहिए। इसके पश्चात जरूरत के हिसाब से सिंचाई करनी चाहिए।


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