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सोनभद्र-चंदौली से सीआरपीएफ जवानों को हटाया, नक्सल उन्मूलन के लिए हुई थी तैनाती

नक्सलवाद से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए केंद्रीय सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) के जवानों को 22 नवंबर को वापस बुला लिया गया। जानकारों का कहना है कि जिले में चिह्नित नक्सली या तो गिरफ्तार हो चुके हैं या फिर मुठभेड़ में मारे गए हैं।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 06:30 AM (IST)
नक्सलवाद से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए सीआरपीएफ के जवानों को वापस बुला लिया गया।

सोनभद्र [अब्दुल्लाह]। नक्सलवाद से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए केंद्रीय सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) के जवानों को 22 नवंबर को वापस बुला लिया गया। जानकारों का कहना है कि जिले में चिह्नित नक्सली या तो गिरफ्तार हो चुके हैं या फिर मुठभेड़ में मारे गए हैं। नक्सलवाद की काली छाया छटने के कारण सीआरपीएफ को हटाया गया है, लेकिन इसके हटने से लोगों की ङ्क्षचता बढ़ गई हैं। बहरहाल, यदि सीआरपीएफ हटी तो नक्सली फिर से सोनभद्र के जंगलों को अपना ठिकाना बनाकर युवाओं को बरगला सकते हैं।

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सोनभद्र में नक्सली वारदात 1997 से शुरू हुई। इस दौरान मांची थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी रमाशंकर जायसवाल की हत्या, जनपद के पलपल, नेवारी, पल्हारी, कोदई, गड़वान, बैजनाथ में तेंदू पत्ता के फड़ों को आग के हवाले करना, नगवां ब्लाक के पनौरा के शौकत अली व उसके भतीजे गुलजार अली की बंदूक लूट जैसी वारदातों को नक्सिलयों ने अंजाम देकर दहशत फैला दी थी। वर्ष 1998 में सुकृत पुलिस चौकी क्षेत्र के नागनार हरैया गांव में बिहारी लाल की हत्या, वर्ष 2000 में थरपथरा व 2001 में पन्नूगंज थाना क्षेत्र के मगरदह गांव में मुठभेड़ जैसी घटनाओं ने प्रदेश सरकार को हिला दिया था। बैजनाथ गांव में चौकीदार घरपत्तू को बंधक बनाकर घर फूंकने, एसओजी टीम में शामिल रहे गोङ्क्षवद यादव के पिता लल्लन यादव की हत्या करने, खोराडीह में पीएसी कैंप से शस्त्र लूटकांड व 2002 में सोमा गांव में पुलिस व पीएसी बल पर फायङ्क्षरग की घटना को नक्सलियों ने अंजाम दिया। 26 फरवरी 2003 को विजयगढ़ युवराज शरदचंद्र पद्मशरण शाह व उनके दो कर्मियों की हत्या की गूंज लखनऊ व दिल्ली तक भी सुनी गई। इसी के बाद सोनभद्र व चंदौली जनपद में सीआरपीएफ की तैनाती का केंद्र सरकार ने फैसला किया। दोनों जिलों में सीआरपीएफ की 148 वीं बटालियन की एक कंपनी मौजूद थी। सोनभद्र जिले के कनछ, सिलहट व मांची एवं चंदौली जनपद के नौगढ़, चंद्रप्रभा व भैसौड़ा में एक-एक कंपनी की तैनाती की गई थी। सीआरपीएफ के जवानों ने चार राज्यों बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश से घिरे सोनभद्र में न केवल नक्सलियों के मंसूबे पर पानी फेरा बल्कि सिविल पुलिस के सहयोग से उन्हें गिरफ्तार व मार गिराने में भी कामयाब रहें।

15 दिसंबर तक पहुंचना है मुख्यालय

सीआरपीए 148 वीं वाहिनी का मुख्यालय वाराणसी के साहूपुरी में है। नाम न छापने की शर्त पर एक कमांडर स्तर के अधिकारी ने बताया कि सरकार ने 15 दिसंबर तक बटालियन को वापस मुख्यालय पहुंचने का फरमान सुनाया है। सोनभद्र व चंदौली में तैनात कंपनी अपना बोरियां बिस्तर बांध रहे हैं।

पोस्टर चिपकाकर दे चुके हैं धमकी

चंदौली जनपद के चकरघट्टा क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व पोस्टर दीवारों पर चस्पा कर धमकी देने का मामला सामने आया था। इसकी जांच पुलिस कर रही है। कहा जा रहा है कि पर्चा नक्सलियों ने चिपकवाया था। ऐसे में लोगों की ङ्क्षचता बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि सीआरपीएफ हटाई गई तो नक्सली सोनभद्र की भूमि को संगठन खड़ा करने में फिर से उपयोग में ला सकते हैं।

छत्तीसगढ़ भेजने का हुआ है आदेश

जिले में तैनात सीआरपीएफ की कंपनियों को छत्तीसगढ़ भेजने का आदेश जारी हुआ है। किन कारणों से सीआरपीएफ हटाई जा रही मालूम नहीं। और न ही सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन की ही तैनाती हुई है।

- आशीष श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक।


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