Crime : शनि के एनकाउंटर के बाद सोनू बना गैंग का सरगना, जीबनेंदु हत्याकांड का आरोपी
जीबनेंदु हत्याकांड का पांचवें आरोपित मनीष उर्फ सोनू सिंह का नाम अपराध की दुनिया में उस समय प्रकाश में आया जब पूर्वांचल के शातिर अपराधी शनि के एनकाउंटर के बाद वह गैंग का सरगना बना। पुलिस ने इस पर नकेल कसने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो पाई।
मीरजापुर, जेएनएन। जीबनेंदु हत्याकांड का पांचवें आरोपित मनीष उर्फ सोनू सिंह का नाम अपराध की दुनिया में उस समय प्रकाश में आया, जब पूर्वांचल के शातिर अपराधी शनि के एनकाउंटर के बाद वह गैंग का सरगना बना। मुखिया बने सोनू ने अपना आधिपत्य कायम रखने के लिए ताबड़तोड़ अपहरण, फिरौती व लूट की घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर किया तांकि लोगों में दहशत बन सके। पुलिस ने इस पर नकेल कसने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो पाई।
वाराणसी के लंका थाना स्थित नरोत्तपुर मोहल्ला निवासी सोनू उर्फ मनीष सिंह पुत्र अनिल पर जयायम का बदशाह बनने का भूत सवार हुआ तो वाराणसी के शातिर बदमाश शनि गैंग में शामिल हो गया। वर्ष 2007 में इसके खिलाफ कैंट थाने में बलवा सहित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हुआ। 2007 से 2011 तक में इसके खिलाफ भेलूपुर, चौबेपुर, फुलपुर, सीतापुर, वाराणसी कोतवाली आदि थानों में लूट, चोरी, आम्र्स एक्ट सहित अन्य धाराओं में मामला पंजीकृत किया गया। सोनू, शनि गैंग का बहुत खास शूटर बन गया। लोगों को धमकाकर उनसे फिरौती मांगना इसका पेशा बन गया। हर महीने हजारों रुपये रंगदारी आने लगा। इसी बीच 2015 में शनि पुलिस मुठभेड़ में मारा गया तो सोनू गैंग का सरगना बन गया। वर्ष 2020 में इसने वाराणसी जेल में बंद अशोक के साथ मिल चुनार इलाके में अपना दबदबा बनाना शुरू किया। यहां के प्राइवेट फैक्ट्रियों के मैनेजरों को डरा- धमकाकर रंगदारी लेने लगा। तीन फैक्ट्री से इनको 60 हजार रुपये रंगदारी मिलते थे। इसमें विक्रम यादव, भोनु, अशोक व सोनू को हिस्सेदारी मिलती थी। चुनार निवासी भानु व अनिल को भी कुछ रुपये मिल जाते थे, लेकिन जब जीबनेंदु शांति गोपाल कॉनकास्ट कंपनी के मैनेजर बने तो उन्होंने रंगदारी देना बंद कर दिया। इससे नाराज मनीष विक्रम सहित अन्य लोगों ने जीबनेंदु रथ को मारने का प्लान बनाया। 27 सितंबर को चुनार के रामलीला मैदान के पास पांच गोली मारकर हत्या कर दी। सोनू अभी भी फरार चल रहा है, जबकि अन्य चार आरोपित जेल भेजे जा चुके हैं।