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काशी विद्यापीठ कला मेले में दिखी रचनात्मकता व जीवंतता, ललित कला विभाग में तीन दिवसीय कला मेला उद्घाटित

शताब्दी समारोह के तहत ललित कला विभाग में आयोजित तीन दिवसीय कला मेले में प्रदर्शित कलाकृतियों में रचनात्मकता व जीवंतता उभरी नजर आई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 11:57 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 11:57 AM (IST)
काशी विद्यापीठ कला मेले में दिखी रचनात्मकता व जीवंतता, ललित कला विभाग में तीन दिवसीय कला मेला उद्घाटित

वाराणसी, जेएनएन। कलाकारों ने प्रस्तुत कीं नायाब कलाकृतियां। विभिन्न कलाएं अपने समय और विरासत के सच का कलात्मक रूपांतरण करती हैं, जिसका प्रमाण आप महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला मेले में देख सकते हैं। शताब्दी समारोह के तहत ललित कला विभाग में आयोजित तीन दिवसीय कला मेले में प्रदर्शित कलाकृतियों में रचनात्मकता व जीवंतता उभरी नजर आई।

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ललित कला विभाग विद्यापीठ मुख्य परिसर, गंगापुर, एनटीपीसी-सोनभद्र व जीवनदीप महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने विभिन्न थीमों पर आधारित 24 स्टाल लगाए हैं। इन स्टालों में मिट्टी के खिलौने, टेराकोटा, बुटिक डिजाइन व पेंटिंग में विद्यार्थियों का हुनर देखने को मिला। चिपांजी, मोर, साधु, मधुमक्खी के छत्ते, पाषाणकालीन शिकार करते शिकारी, मजीरा के साथ मोगली, लालकिले की अनुकृतियां मेले में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। वहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, राष्ट्ररत्न शिवप्रसाद गुप्त, भगवान दास अरोड़ा, यशस्वी स्नातकों में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, कमलापति त्रिपाठी, चंद्रशेखर आजाद, रामकृष्ण हेगड़े का कट आउट विवि के गौरवशाली परंपरा को दर्शाने में सफल है। मेले में आए विद्यार्थियों में उमंग देखने को मिला। कोई इंडिया गेट तो कोई विद्यापीठ मुख्य द्वार के कट आउट के सामने सेल्फी ले रहा था।

कला से सत्य की अनुभूति : डा. नीलकंठ तिवारी

शताब्दी वर्ष पर तीन दिवसीय मेले का उद्घाटन मंगलवार को पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने किया। उन्होंने कहा कि चित्र भी एक भाषा है। कला से सत्य की अनुभूति होती है। कोई भी व्यक्ति या कलाकार की कलाकृति उसके व्यक्तित्व का परिचय देती है। भारतीय कला के बारे में कहा जाता है कि वैदिक काल में कला शास्त्र की रचना हुई थी। यही कारण है कि भारतीय कला में संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

बनेगी चंद्रशेखर आजाद आर्ट गैलरी

उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने ललित कला विभाग में चंद्रशेखर आजाद आर्ट गैलरी का निर्माण कराने की घोषणा की। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान चंद्रशेखर आजाद ललित कला के गुप्त तहखाने में बैठक करते थे।

शंकरा बैंड पर झूमे विद्यार्थी

 मेले की शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम रहा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ गणेश वंदना से हुआ। फैशन डिजाइन के विद्यार्थी नृत्य के माध्यम से भारत दर्शन कराने में सफल रहे। भाव नृत्य, पंजाबी, गु्रप नृत्य, कथक, क्लासिकल गायन, राजस्थानी गायन व शंकरा बैंड पर विद्यार्थी जमकर झूमे। समारोह में कुलसचिव डा. एसएल मौर्य, चीफ प्राक्टर प्रो. चर्तुभुज नाथ तिवारी, प्रो. रामप्रकाश द्विवेदी, डा. केके सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे। संचालन संयुक्त रूप से डा. बंशीधर पांडेय व दुर्गेश उपाध्याय व धन्यवाद ज्ञापन वित्त अधिकारी राधेश्याम ने किया। 


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