ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में बार-बार समय मांगने पर अदालत ने अंजुमन पर लगाया 500 रुपये का हर्जाना
ज्ञानवापी-शृंगारी गौरी प्रकरण में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के बार-बार समय मांगने को लेकर जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने नाराजगी जताई। सख्त टिप्पणी करते हुए उन्होंने 500 रुपये का हर्जाना लगाया है। सुनवाई की अगली तिथि 22 अगस्त तय की है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी-शृंगारी गौरी प्रकरण में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के बार-बार समय मांगने को लेकर जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने गुरुवार को नाराजगी जताई। सख्त टिप्पणी करते हुए उन्होंने 500 रुपये का हर्जाना लगाया है। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि 22 अगस्त तय की है।
ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं के विग्रह के संरक्षण के लिए राखी सिंह सहित पांच महिलाओं की ओर से दाखिल वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर जिला जज की अदालत में दोपहर दो बजे सुनवाई शुरू हुई। प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया की ओर से प्रार्थना पत्र दिया गया कि उनके वकील अभयनाथ यादव ने इस मुकदमे में बहस किया था। वादी पक्ष की ओर से अपनी बात अदालत के सामने रखने बाद उसका जवाब देने की उन्होंने तैयारी की थी, लेकिन उनका असमायिक निधन हो गया।
इसके बाद योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू व शमीम अहमद को वकील नियुक्त किया गया है। इनका वकालतनामा दाखिल किया जा रहा है। दोनों वकील समय के अभाव के कारण मुकदमे में जवाब देने की तैयारी नहीं कर पाए हैं। इसलिए दस दिन की मोहलत दी जाए। इस पर जिला जज ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुकदमे की सुनवाई की जा रही है। इसकी लगातार निगरानी की जा रही है। पहले ही प्रतिवादी को पर्याप्त समय दिया जा चुका है, जिसमें पूरी तैयारी की जानी चाहिए थी। वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने भी प्रतिवादी पक्ष को तैयारी के लिए दस दिन समय देने के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति जताई।
अदालत ने दस दिन का समय न देते हुए सुनवाई की अगली तिथि 22 अगस्त को तय कर दी। बीते चार अगस्त को भी सुनवाई में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अपने वकील अभयनाथ यादव का निधन हो जाने के कारण 15 दिन की मोहलत मांगी थी। इस पर अदालत ने सुनवाई की तिथि 18 अगस्त तय की थी।