Move to Jagran APP

वाराणसी में बोले इसरो के चेयरमैन डा. सोमनाथ एस - 'तीन महीने बाद लांच होगा देश का पहला सेमी क्रायोजेनिक इंजन'

आइआइटी बीएचयू में रविवार को इसरो के चेयरमैन मौजूद रहे। इस दौरान इसरो के चेयरमैन डा. सोमनाथ एस ने लोगों से बातचीत की और बताया कि तीन महीने बाद देश का पहला सेमी क्रायोजेनिक इंजन लांच किया जाएगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Sun, 10 Apr 2022 07:08 PM (IST)
वाराणसी में बोले इसरो के चेयरमैन डा. सोमनाथ एस - 'तीन महीने बाद लांच होगा देश का पहला सेमी क्रायोजेनिक इंजन'
वाराणसी में इसरो के चेयरमैन डा. सोमनाथ एस रविवार को आइआइटी बीएचयू में कार्यक्रम में पहुंचे।

वाराणसी [शैलेष अस्‍थाना]। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डा. सोमनाथ एस ने बताया कि इसरो तीन माह बाद देश का पहला सेमी क्रायोजेनिक इंजन लांच करने जा रहा है। राकेट एबार्ट सिस्टम पर इस साल के अंत तक सफलता मिल जाएगी। इसके बाद गगनयान की लांचिंग के विषय में कुछ स्पष्ट हो सकेगा। क्योंकि हमारी प्राथमिकता है कि जो भी अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाए, उसे सकुशल वापस धरती पर ला सकें। इसके लिए इस्केप सिस्टम पर तेजी से काम चल रहा है। वह यहां आइआइटी बीएचयू के दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने आए थे। पदक वितरण समारोह के बाद आइआइटी के अतिथि गृह में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अंतरिक्ष क्षेत्र में भी भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाना है और आने वाले वर्षों में हम इसे स्वदेशी तकनीक के बल पर हासिल करेंगे।

डा. सोमनाथ एस ने इसरो के भावी लक्ष्यों और अंतरिक्ष क्षेत्र में चल रही योजनाओं के बारे में बताया कि गगनयान-2 उपग्रह के प्रक्षेपण की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। स्पेस में भेजने के लिए भारतीय वायुसेना के चार जवानों का प्रशिक्षण रूस में चल रहा है। इस वर्ष के अंत तक उनका प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा, इसके बाद उन्हें अंतरिक्ष में भेजा जाएगा लेकिन इसके पूर्व इस्केप सिस्टम को तैयार कर लेना है ताकि जो यात्री अंतरिक्ष में भेजा जाय, उसे सकुशल धरती पर वापस भी लाया जा सके। इसरो स्पेस इस्केप सिस्टम की तकनीक पर तेजी से काम कर रहा है। इसी तरह पूरा विश्ववास है कि राकेट के एबार्ट सिस्टम पर इस वर्ष के अंत तक हमें सफलता मिल सकती है। इनके परिणाम आते ही गगनयान और मिशन मंगल के लांचिंग की तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी। उन्होंने बताया कि इन परियाेजनाओं के साथ ही चंद्रयान-3 पर भी काम चल रहा है।

देश के सभी प्रौद्योगिकी संस्थानों में स्थापित होगा स्पेस यूनिट : आइआइटी बीएचयू में इसरो के सहयोग के सवाल पर चेयरमैन डा. सोमनाथ ने बताया कि इसरो की तरफ आइआइटी में एक रीजनल एकेडमिक सेंटर फार स्पेस स्थापित किया गया है। यहां पर मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में मैटेरियल साइंस, इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज और हेल्थ केयर पर शोध कार्य के प्रस्ताव बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि देश के सभी प्रौद्योगिकी संस्थानों में स्पेस यूनिट स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी इच्छा है कि आइआइटी बीएचयू से सैटेलाइट लांच हो।

अंतरिक्ष कचरे की समस्या का निदान खोज रहा भारत : इसरो चेयरमैन डा. सोमनाथ ने बताया कि अंतरिक्ष अपशिष्ट (स्पेस गारबेज) एक बड़ी समस्या हैं। काफी संख्या में राके से निकलने वाल फाग, डेड सैटेलाइट और उनके टूटे-फूटे टुकड़े अंतरिक्ष में तैर रहे हैं। अंतरिक्ष में फैले कचरे की समस्या की पड़ताल के लिए हिमाचल प्रदेश के देवांचल में आप्टिकल टेलीस्कोप लगाया गया है। हमारी योजना है कि रोबोटिक मैकेनिज्म के द्वारा अंतरिक्ष की साफ-सफाई की प्रणाली विकसित की जाए ताकि बड़े क्षेत्रफल में फैली समस्या का निदान हो सके।

पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर हो रहा है काम : डा. सोमनाथ ने बताया कि इसरो अब पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर काम कर रहा है। तीन महीने बाद देश के पहले सेमी क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण किया जाएगा। यह 200 टन ईंधन क्षमता का होगा। इसकी सफलता के बाद जीएसएलवी मार्क-3 की पेलोड कैबेलिटी को चार टन से बढ़ाकर 5.5 टन कर दिया जाएगा। यह सेमी क्रायोजेनिक इंजन में केरोसिन और हाइड्रोजन तथा आक्सीजन आक्सीडाइजर पर आधारित होगा। वार्ता के दौरान आइआइटी के निदेशक प्रो. पीके जैन, बीओजी चेयरमैन पद्मश्री डा. कोटा हरिनरायन भी उपस्थित थे।