नारी का अपमान व अपशब्द कहना देश नहीं सहेगा, वाराणसी में बोले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इंद्रेश कुमार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने वाराणसी में कहा कि नारी का अपमान देश नहीं सहेगा।
वाराणसी, जेएनएन। पातालपुरी मठ में 108 बार हनुमान चालीसा का हवनात्मक यज्ञ के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि नारी का अपमान देश नहीं सहेगा। भारतीय संस्कृति व सभ्यता में नारी को विशेष स्थान दिया गया है। अभिनेत्री कंगना रनौत के बारे में उन्होंने सीधे तौर पर तो कुछ न कहते हुए अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि नारी का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य है। हमारे देश में अपशब्द हमेशा अमानवीय होता है। नारी जाति का सम्मान राजनेता का राजनीतिक कर्तव्य होता है। नारी को अपशब्द कहना अमानवीय है। नारी के साथ कभी अपशब्द या गलत व्यवहार नहीं होना चाहिए।
इसके पूर्व प्राचीन काल से वैदिक अध्ययन का केंद्र मठ ही रहे, जहां वेदपाठी सस्वर सुबह-शाम वैदिक मंत्रों का उच्चारण, हवन कर पर्यावरण और दुषित मानसिक प्रवृत्ति का शुद्धिकरण करते हैं। मुस्लिम आक्रांताओं ने सनातन संस्कृति को खत्म करने के लिए मठों पर हमले किए, पवित्र धार्मिक पुस्तकों को जला दिया, ताकि भारत का ज्ञान और संस्कृति नष्ट हो जाये, लेकिन मठाधीशों, धर्माचार्यों ने प्रत्येक वेद पाठियों को ही वेद याद कराकर उनके मस्तिष्क को ही वेद बना दिया। तब जाकर वेद की रक्षा हुई। ऐसे में वेद, वैदिक शिक्षा व यज्ञ आंदोलन से ही भारत विश्व गुरु बनेगा। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास एवं विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष डा. राजीव श्रीवास्तव ने सभी धर्म और जातियों के लोगों के लिए न सिर्फ मठ के दरवाजे खुलवाये बल्कि 11 दिवसीय यज्ञ में जाति, धर्म, रंग, लिंग के भेद को खत्म करते हुए सभी लोगों को यज्ञ में भाग लेने का अवसर देकर भेदभाव को खत्म करने की क्रांतिकारी शुरूआत की थी। मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज ने कहा कि रामानंद ने जाति-धर्म के भेद को मिटा कर सभी लोगों का अपना शिष्य बनाया। उन्हीं के रास्ते पर चलते हुए रामानन्दी सम्प्रदाय के मठ सभी को गले से लगा कर दीक्षित करेंगे।
शुरू हो एमए इन रामायण, महाभारत जैसे पाठ्यक्रम
विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष एवं इतिहासकार डा. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि अब एमए इन रामायण, एमए इन गीता, एमए इन महाभारत, एमए इन रामचरित मानस जैसे पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए। मठों में चल रही वैदिक शिक्षा के संवर्धन के लिए विशेष योजना बनानी चाहिए। मठों को सभी प्रकार के करों से मुक्त कर देना चाहिए ताकि वे सनातन संस्कृति के माध्यम से पूरी दुनिया को विश्व शांति की ओर ले जा सकें। संवाद कार्यक्रम में प्रमुख धर्माचार्य महंत श्रवण दास, महंत ईश्वर दास, महंत रामलोचन दास, महंत अवध बिहारी, महंत राघव दास, महंत अवध किशोर दास, महंत सियाराम दास, महंत सर्वेश्वरशरण दास आदि लोग मौजूद रहे।