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परिषदीय स्‍कूल : वाराणसी में छात्रों के पैरों से अब भी जूता गायब, पुराने यूनिफार्म से चला रहे काम

मौसम ने अब करवट बदलनी शुरू कर दी है। सुबह-शाम लोग सिरावन महसूस कर रहे हैं। ऐसे में दीपावली के बाद ठंड का प्रकोप बढ़ना तय है। वहीं सत्र के सात माह बाद भी अब भी परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को स्वेटर जूता मोजा का इंतजार है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 10:28 AM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 10:28 AM (IST)
वाराणसी में बच्चाें के पैरों से अब भी जूता गायब

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मौसम ने अब करवट बदलनी शुरू कर दी है। सुबह-शाम लोग सिरावन महसूस कर रहे हैं। ऐसे में दीपावली के बाद ठंड का प्रकोप बढ़ना तय है। वहीं सत्र के सात माह बाद भी अब भी परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को स्वेटर, जूता मोजा का इंतजार है। डीबीटी के फेर में बच्चों का यूनिफार्म-स्वेटर, बैग और जूते-मोजा अब भी फंसा हुआ है। ऐसे में बच्चों के पैरों में जहां जूता अब भी गायब है। वहीं अब भी बच्चों को पुराने यूनिफार्म से काम चलाना पड़ रहा है।

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दरअसल शासन ने इस वर्ष परिषदीय और अशासकीय सहायताप्राप्त प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को यूनिफार्म, स्वेटर, जूता-मोजा और स्कूल बैग देने की बजाय सरकार अब इन वस्तुओं को खरीदने के लिए बच्चों के अभिभावकों को पैसा देने का निर्णय लिया है ताकि अभिभावक अपने मनपंसद दुकानों से यूनिफार्म, स्वेटर, जूता-मोजा और स्कूल बैग खरीद सके। साथ ही कमीश्नखोरी पर भी लगाम लग सके। बेसिक शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को कैबिनेट की भी मंजूरी मिल चुकी है। इसके तहत यूनिफार्म, स्वेटर, जूता-मोजा और स्कूल बैग के लिए हर बच्चे के लिए अभिभावक के बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत 1100 रुपये भेजे जाएंगे। यह धनराशि पीएफएमएस के माध्यम से डीबीटी की जाएगी। पीएफएमएस से धनराशि भेजने से धनराशि का आडिट किया जा सकेगा। इसमें बरसों पुराने रिकार्ड भी मौजूद रहते हैं। इस निर्णय से शिक्षकों व अधिकारियों को इसकी खरीद व वितरण से मुक्ति मिलेगी जिससे वे पढ़ाई-लिखाई पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगे। कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को नि:शुल्क यूनिफार्म केन्द्र सरकार और जूता-मोजा, स्वेटर व स्कूल बैग राज्य सरकार उपलब्ध कराती है।

भ्रष्टाचार पर लगाम

बच्चों को दो जोड़ी यूनिफार्म मुहैया कराने के लिए प्रति जोड़ी 300 रुपये की दर से 600 रुपये, एक स्वेटर के लिए 200 रुपये, एक जोड़ी जूता व दो जोड़ी मोजे के लिए 125 रुपये और एक स्कूल बैग के लिए 175 रुपये दिए जाएंगे। अभी तक बच्चों को प्रत्येक सत्र में यह चीजें विभाग की ओर से मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती थीं। इनके लिए अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जाती थी। इसमें भ्रष्टाचार के अलावा इन सामानों की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिलती थीं। इन चीजों को समय से उपलब्ध कराने की भी चुनौती रहती थी। अब धनराशि सीधे बैंक खातों में भेजे जाने पर भ्रष्टाचार पर अंकुश तो लगेगा ही, अभिभावक अपनी संतुष्टि के अनुसार यह चीजें खरीद सकेंगे। बच्चों को समय से यह सुविधाएं मिलने से उनकी उपस्थिति व सीखने-सिखाने के वातावरण में सुधार होगा। कक्षा के अनुसार दक्षता प्राप्त करने के लिए अधिक अवसर मिल सकेगा। इस व्यवस्था से राज्य, जिला व ब्लाक स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी वस्तुओं की आपूर्ति प्रक्रिया से मुक्त होकर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर अधिक ध्यान देने की स्थिति में होंगे।


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