Coronavirus Varanasi City News Update : डाक्टरों की सलाह नजरअंदाज करना पड़ गया था भारी
कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप ने एक बार फिर स्वास्थ्य महकमे को चिंता में डाल दिया है। वाराणसी में होम आइसोलेशन या अस्पताल में इलाज के दौरान भी लापरवाही सामने आ रही है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप ने एक बार फिर स्वास्थ्य महकमे को चिंता में डाल दिया है। एक ओर जहां आम जीवन में लोग गाइडलाइन का पालन करने में कोताही कर रही हैं तो वहीं होम आइसोलेशन या अस्पताल में इलाज के दौरान भी लापरवाही सामने आ रही है। ऐसा ही एक मामला कांस्टेबल मनोज कुमार पांडेय का रहा। डाक्टर की सलाह न मानते हुए दवा लेने में कोताही उनकी सेहत पर भारी पड़ गई थी।
कांस्टेबल मनोज कुमार पांडेय की मौत 29 जुलाई को बीएचयू में हुई थी। हालांकि उस समय परिवारीजनों ने चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाया था। इस पर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी, जिसने इलाज में लापरवाही के आरोप को खारजि कर दिया। मनोज को 23 जुलाई को कोविड मरीज के रूप में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
रिपोर्ट के आधार पर समिति ने पाया कि मरीज उच्च रक्तचाप एवं डायबिटीज की बीमारी से ग्रस्त था। साथ ही वह पिछले दस वर्षों से मादक पदार्थों का सेवन किए जा रहा था। मरीज को कोविड की निर्धारित दवाएं दी जा रही थीं। 26 जुलाई को मरीज को अन्य दवा के साथ मेटाफार्मिन 500 एमजी की दवा एक बार दी गई। वहीं अगले दिन बढ़े हुए शुगर स्तर को देखते हुए मेटाफार्मिन दो बार दिया गया। मगर स्वभाव में परिवर्तन के कारण मरीज ने उग्र होकर दवा खाना बंद कर दिया। 29 को उसकी स्थिति बिगडऩे लगी और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। इस पर उसे इंजेक्शन देते हुए बेहतर इलाज के लिए बीएचयू रेफर किया गया था। बीएचयू से मिले रिपोर्ट के मुताबिक दोपहर में मरीज की स्थिति गंभीर हो गई थी। जरूरी दवा देते हुए मरीज को वेंटिलेटर पर रख दिया गया। शाम करीब 6.30 बजे कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट होने पर सीपीआर दिया गया, लेकिन मरीज की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और शाम 7 बजे उसकी मौत हो गई।
यानी विशेषज्ञों के मुताबिक जिला अस्पताल के साथ ही बीएचयू लेवल-3 कोविड अस्पताल में उनका समुचित इलाज किया गया, जिसमें किसी भी प्रकार की चिकित्सीय लापरवाही नहीं पाई गई। जांच समिति ने कांस्टेबल मनोज पांडेय की मौत की वजह चिकित्सीय लापरवाही को नहीं, बल्कि उनकी को-मार्बिटिक स्थिति को माना था। वे डायबिटीज व उच्च रक्तचाप के पुराने मरीज थे और एल्कोहलिक भी थे। इलाज के दौरान उन्होंने डाक्टर की सलाह को दरकनिार करते हुए दवा लेने में भी कोताही की थी।