कोरोना योद्धा : बीएचयू अस्पताल में हर संदिग्ध मरीज के साथ डाक्टर का भी रखा जाता पूरा रिकार्ड
वाराणसी के बीएचयू अस्पताला में कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर नई गाइड लाइन के मुताबिक इन मामलों में भी संदिग्ध लोगों के सैंपल लेकर आइसोलेशन वार्ड में रखने का प्रावधान है।
वाराणसी, जेएनएन। अगर किसी की सांस अचानक फूलने लगे या उसके फेफड़े में संक्रमण (एक्यूट रेस्पिरेट्री इंफेक्शन) हो तो यह भी कोरोना का लक्षण हो सकता है। नई गाइड लाइन के मुताबिक इन मामलों में भी संदिग्ध लोगों के सैंपल लेकर आइसोलेशन वार्ड में रखने का प्रावधान है। टीबी एंड चेस्ट रोग विभाग के डा. दीपक कुमार शाह भी इस काम में बड़ी ही तल्लीनता के साथ जुटे हैं।
भगवानपुर के रहने वाले डा. शाह सुबह बाइक संभालते हुए बीएचयू अस्पताल पहुंच जाते हैं। शेड्यूल के हिसाब से कभी 103 नंबर ओपीडी, कभी आइसोलेशन वार्ड तो कभी स्पेशल वार्ड में मुस्तैद रहते हैं। पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) पहन लेने के बाद संदिग्ध का सैंपल लेने या उनकी देखभाल में उन्हें तनिक भी हिचक नहीं रहती। डा. शाह के मुताबिक लक्षणों व ट्रेवल हिस्ट्री के मुताबिक किसी मरीज को संदिग्ध मान कर सैंपल लिया जाता है। वहीं मरीजों की देखभाल में लगे स्वास्थ्य कर्मियों में लक्षण दिखने पर तत्काल जांच का प्रावधान है।
रखा जाता है हर एक का रिकार्ड
डा. शाह के मुताबिक शेड्यूल के हिसाब से डाक्टर, पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ की कई टीम बनाई गई हैं, जो शेड्यूल के हिसाब से ड्यूटी पर रहती है। किस दिन कौन संदिग्ध अस्पताल पहुंचा, एंबुलेंस ड्राइवर कौन था, डाक्टर, पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ की कौन सी टीम ड्यूटी पर थी, सबका लिखित रिकार्ड रखा जाता है। ताकि भविष्य में किसी मरीज में कोरोना की पुष्टि होने पर संबंधित टीम को तुरंत क्वारंटाइन पर भेजा जा सके।
माता-पिता हैं प्रेरणा
लॉकडाउन के कारण डा. शाह के माता-पिता गोरखपुर में ही रह गए हैं। रोजाना की बातचीत में वे हौसला बढ़ाते रहते हैं। यहां पत्नी व दो बच्चों का ख्याल रखने के साथ ही वे अपने सेहत पर भी ध्यान देते हैं। उनका मानना है कि जब डाक्टर स्वयं फिट होगा, तभी अपने मरीजों को भी स्वस्थ्य दिनचर्या के लिए प्रेरित कर सकेगा।