दशाश्वमेध घाट पर गूंजा संस्कृत में संभाषण, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के टूरिस्ट गाइड ले रहे प्रशिक्षण
पीएम मोदी ने गत माह संस्कृत में क्रिकेट की कमेंट्री सुनकर मन की बात में लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्थल के टूरिस्ट गाइडों को काशी जाकर संस्कृत संभाषण सीखने व संस्कृत में बोलने की बात कही थी।
वाराणसी, राजेश त्रिपाठी। कहा जाता है कि देववाणी संस्कृत अत्यंत सरल व सुगम भाषा है। इसमें संभाषण करना तो अत्यंत ही मनोहारी व मानसिक शांति प्रदान करता है। ये बातें बुधवार को उस समय उजागर हो गई जब दशाश्वमेध घाट पर टूरिस्ट गाइडों और तीर्थ पुरोहितों ने संस्कृत में संभाषण (बातचीत) की। मौका था गुजरात के केवडिया (जनपद नर्मदा) से यहां आकर संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण ले रहे 15 प्रशिक्षणार्थियों द्वारा घाट पर गंगा आरती के बाद टूरिस्ट गाइडों और तीर्थ पुरोहितों को भी इसी भाषा में बोलने के लिए प्रेरणा व प्रशिक्षण देने का।
बीते दिनों पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में आयोजित बटुकों की क्रिकेट प्रतियोगिता में संस्कृत कमेंट्री को लेकर भी अपने विचार जाहिर किए थे। संस्कृत कमेंट्री के दौरान पीएम ने कमेंट्री का आडियो भी जारी कर संस्कृत की महत्ता को बताते हुए केवडिया के टूरिस्ट गाइडों द्वारा संस्कृत में जानकारी देने की बात साझा कर संस्कृत पर अपने विचार जाहिर किए थे। इसके बाद वाराणसी में टूरिस्ट गाइडों का दौरा प्रस्तावित हुआ है।
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने गत माह संस्कृत में क्रिकेट की कमेंट्री सुनकर मन की बात में लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्थल के टूरिस्ट गाइडों को काशी जाकर संस्कृत संभाषण सीखने व संस्कृत में बोलने की बात कही थी। इस क्रम में पीएम की मन की बात सुनकर स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के टूरिस्ट गाइड से संबंधित 15 लोगों का समूह यहां संस्कृत भारती के तत्वावधान में डॉक्टर संजीव शर्मा व उनकी टीम से संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण ले रहा है। उनमें आठ पुरुष, पांच महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं।
गंगा आरती के बाद प्रशिक्षण ले रहे टूरिस्ट गाइडों के दल ने दशाश्वमेध घाट किनारे घूम रहे पांच गाइड्स और छह तीर्थ पुरोहितों को संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण व प्रेरणा दी। इस दौरान घाट पर संस्कृत संभाषण की बानगी प्रशंसनीय रही। इस दौरान संस्कृत ऐसे संवाद सुनाई पड़े।
यहां के टूरिस्ट गाइड को मम नाम नितेश :। भवत:,नाम किम्?संस्कृतं सरलम् अस्ति। भवान् अपि संस्कृतेन वद्तु।
मम् नाम नम्रता। भवत :नाम् किम्? अहं संस्कृते सर्वदा वदामि। भवान् अपि सर्वदा संस्कृतेन वदति किम्? जैसे सरल वाक्य बोलने का प्रशिक्षण दिया गया। तीर्थ पुरोहितों को बताया गया कि आप आइये के स्थान पर भवान आगच्छतु, बोलिये के स्थान पर वद्तु और बैठिए के लिए उपविशतु और यजमान को हाथ मे जलकर संकल्प करने के स्थान पर हस्तौ जलम् आदाय संकल्प:, ऐसा बोलने की प्रेरणा दी गई।