Move to Jagran APP

आजमगढ़ में Contract Farming से संवर रही जिंदगी, बीज से देश भर में लहलहा रही गोभी की फसल

सर्दियों की प्रमुख सब्जियों में गोभी का महत्वपूर्ण नाम है। देश भर के खेतों में इन दिनों गोभी की फसल लहलहा रही है। अधिकांश खेतों में किसानों की उम्मीदें आजमगढ़ में तैयार बीज से परवान चढ़ रही हैं। यह कांट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए संभव हो पा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 09:30 AM (IST)
आजमगढ़ में Contract Farming से संवर रही जिंदगी, बीज से देश भर में लहलहा रही गोभी की फसल
खेतों में किसानों की उम्मीदें आजमगढ़ में तैयार बीज से परवान चढ़ रही हैं।

आजमगढ़ [राकेश श्रीवास्तव]। सर्दियों की प्रमुख सब्जियों में गोभी का महत्वपूर्ण नाम है। देश भर के खेतों में इन दिनों गोभी की फसल लहलहा रही है। अधिकांश खेतों में किसानों की उम्मीदें आजमगढ़ में तैयार बीज से परवान चढ़ रही हैं। यह कांट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए संभव हो पा रहा है। परायनपुर गांव बीज तैयार करने का हब बनकर उभरा है। कुछ किसान अपने खेत तो कई भूमि लीज पर लेकर बीज तैयार कर रहे हैं। मुंबई के वीडीयो एडिटर ने भी कोरोना काल की दुश्वारियों को हराने के लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग को हथियार बनाया है। किसानों ने कहाकि कांट्रेक्ट फार्मिंग का अनुभव बेहतर रहा, जिसमें समयावधि में भुगतान का नया कानून हमारी तिजोरी भर देगा।

loksabha election banner

  महराजगंज ब्लाक के परायनपुर गांव में राजबहादुर ङ्क्षसह ने दो दशक पूर्व कांट्रेक्ट फार्मिंग की शुरुआत की थी। सीड कंपनी ने उनको गोभी का बीज तैयार करने का मशविरा दिया। एक कंपनी की रणनीति रास आई तो वह एक बिस्वा खेत में शुरुआत की थी, जो अब चार बीघे में फैल गई है। दरअसल, उस समय आलू की बेहतर खेती करते थे। राजबहादुर को देख कैलाश विश्वकर्मा को भी बीज बनाने की सूझी, पर वे खेत न होने से परेशान थे। अब वह भी नफा-नुकसान का गणित समझने के बाद खेत लीज पर लेकर बीज तैयार करने लगे। 

बोले किसान

कांट्रैक्ट फार्मिंग करते दो दशक बीत गए। सबकुछ विज्ञानी तरीके से करता हूं। टपक विधि से खेती करने से पानी, मजदूर का खर्च बच जाता है।  कांट्रेक्ट फार्मिंग में एक दुश्वारी महसूस होती थी, जिसे सरकार ने समयावधि में भुगतान का नया कानून बनाकर खत्म कर चुकी है। -राजबहादुर सिंह

लीज पर खेती भी फायदे का सौदा है। एक बीघा में आठ हजार गोभी के पौध लगाए जाते हैं। बीज लायक फली को छोड़ शेष को बाजार में बेच देता हूं। खेती का सारा खर्च बाजार से ही निकल आता है। कंपनियों को प्रति बीघा 100 किलो बीज की बिक्री का एक लाख रुपये शुद्ध बचत होता है। -कैलाश विश्वकर्मा। 

मुंबई में वीडियो एडिटिंग करता था। कोराेेना काल में लौटा तो चाचा-ताऊ को देख बीज तैयार करने का मन बनाया हूं। वहां की दौड़ भाग से आजिज भी आ गया था। नए कृषि कानून से मुनाफा बढ़ेगा। -रमेश सिंह।

बोले कंपनी अधिकारी

वर्ष 1952 की कंपनी है। विदेशों तक में बीज की आपूर्ति करती है। आजमगढ़ के किसान बेहतर करके खुशहाल हैं। कंपनी किसानों को आइडिया व तकनीकी के साथ जरूरत पर मदद को तैयार रहती है। -सुरेंद्र नाथ वर्मा, सीईओ, सीड कंपनी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.