Move to Jagran APP

पुरानी इकाइयों को बंद करने का सिलसिला जारी, पारीछा की इकाई को भी किया जायेगा बंद, अब तक 21 हो चुकी हैं बंद

प्रदेश के विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में पिछले चार से पांच दशकों से प्रदेश को प्रकाशमय करती रहीं इकाइयों का अस्तित्व समाप्त होने का दौर चल रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 08:30 AM (IST)
पुरानी इकाइयों को बंद करने का सिलसिला जारी, पारीछा की इकाई को भी किया जायेगा बंद, अब तक 21 हो चुकी हैं बंद
पुरानी इकाइयों को बंद करने का सिलसिला जारी, पारीछा की इकाई को भी किया जायेगा बंद, अब तक 21 हो चुकी हैं बंद

सोनभद्र, जेएनएन। प्रदेश के विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में पिछले चार से पांच दशकों से प्रदेश को प्रकाशमय करती रहीं इकाइयों का अस्तित्व समाप्त होने का दौर चल रहा है। अपनी आयु पूरी करने के साथ पर्यावरण मानकों पर खरा नहीं उतरने सहित उत्पादन खर्च बढ़ जाने के कारण कई ऐतिहासिक इकाइयों को अब इतिहास में दर्ज किया जा रहा है।

loksabha election banner

ओबरा, हरदुआगंज और पनकी के बाद पारीछा की भी एक इकाई को अधिष्ठापित क्षमता से हटाया जा रहा है। इन इकाइयों के दो दशक पहले बंद होने पर प्रदेश में विद्युत संकट की स्थिति पैदा हो जाती थी। साथ ही ग्रिड फेल होने की संभावना भी बनी रहती थी। बहरहाल समय के साथ बड़ी क्षमता की इकाइयों के सामने आने के बाद कभी सबसे बड़ी रही इकाइयों का दौर खत्म होते जा रहा है। अब तक 21 इकाईयां बंद पिछले एक दशक में प्रदेश की सबसे पुरानी 21 इकाइयों को बंद किया जा चुका है। जिसमें ओबरा की 50 मेगावाट की पांच, 100 मेगावाट की तीन, पनकी की 32 मेगावाट वाली दो, 110 मेगावाट वाली दो, हरदुआगंज की 30 मेगावाट वाली तीन, 50 मेगावाट वाली दो, 55 मेगावाट वाली दो तथा 60 मेगावाट वाली दो इकाइयां शामिल हैं। इन इकाइयों के ब्वायलर का नान रिहीट टाइप का बने होना इनके बंद होने का प्रमुख कारण साबित हुआ। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने इस प्रकार की इकाइयों को बंद करने की अनुशंसा की थी। नान रिहीट इकाइयों में कोयले की खपत ज्यादा होती है जिससे प्रदूषण ज्यादा होने के साथ ऊर्जा हानि भी ज्यादा होती है।

17 इकाइयों पर बंदी की तलवार

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा 25 वर्ष से पुरानी इकाइयों को वर्ष 2022 तक बंद करने के निर्देश को देखते हुए उत्पादन निगम की 17 इकाइयों पर बंदी की तलवार लटक रही है। वर्तमान में अनपरा की 210 मेगावाट की तीन, ओबरा की 200 मेगावाट वाली पांच, परीछा की 110 मेगावाट की दो, 210 मेगावाट की दो, 250 मेगावाट की दो तथा हरदुआगंज की 110 मेगावाट की एक तथा 250 मेगावाट की तीन दशक से ज्यादा पुरानी हैं। हालांकि उत्पादन निगम कई इकाइयों को बचाने में जुटा हुआ है। निगम ने कई पुरानी इकाइयों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन प्रणाली लगाने का निर्णय लिया है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देश पर उत्पादन निगम अनपरा अ तापघर की 210 मेगावाट वाली तीन इकाइयों और ब तापघर की 500 मेगावाट वाली दो इकाइयों में एफजीडी की स्थापना के लिए 873.38 करोड़ तथा ईएसपी रेट्रोफिटिंग के लिए 237 करोड़ की कार्य योजना को स्वीकृति दी गयी है। इसके अलावा हरदुआगंज के 250 मेगावाट वाली दो इकाइयों, परीछा के 210 एवं 250 मेगावाट वाली दो-दो इकाइयों में एफजीडी के लिए 145.90 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.