आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायतें कम, एक माह में सिर्फ 185 लोगों ने किया आनलाइन आवेदन
समन्वित शिकायत निवारण यानी आइजीआरएस पोर्टल की रैंकिंग पिछले मार्च से ही बंद है। बताया जा रहा है कि अप्रैल व मई में कोविड की वजह से ऐसा हुआ है। बहरहाल शिकायतें भी कम आई हैं। छह मई से अब तक कोविड से जुड़ी 167 शिकायतें आईं।
वाराणसी, जेएनएन। समन्वित शिकायत निवारण यानी आइजीआरएस पोर्टल की रैंकिंग पिछले मार्च से ही बंद है। बताया जा रहा है कि अप्रैल व मई में कोविड की वजह से ऐसा हुआ है। बहरहाल, शिकायतें भी कम आई हैं। छह मई से अब तक कोविड से जुड़ी 167 शिकायतें आईं। इसमें से किसी ने बेड न मिलने की तो वहीं कुछ ने अस्पताल में आक्सीजन उपलब्ध न होने की बात कही है।
कुछ ने चिकित्सकों की लापरवाही की भी शिकायत की है। हालांकि सभी शिकायतें कोविड कंमाड कंट्रोल सेंटर के हवाले की गई और सभी निस्तारित भी कर दी गई है। आनलाइन शिकायतों में सिर्फ 18 शिकायतें आई हैं। इसमें कुछ लोगों ने जमीन विवाद के मामले की तो कुछ ने पोल्ट्री फार्म से प्रदूषण को लेकर शिकायत की है। पोर्टल पर सभी शिकयतें निस्तारित शो कर रहा है। एक माह में सिर्फ 18 शिकायत देख अधिकारी आश्चर्यचकित हैं। जबकि प्रतिदिन 20 से 25 शिकायतें पोर्टल पर आती है। हालांकि शिकायतों के कम आने की वजह कोविड संक्रमण काल बताया जा रहा है। अब इसमें तेजी आने की बात कही जा रही है।
फरवरी माह की जारी रैंकिंग में वाराणसी 18वें स्थान पर
आइजीआरएस (इंटीग्रेटेड ग्रीवांस रीडर्स सिस्टम यानी समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली) की प्रदेश स्तर पर जारी फरवरी माह की जारी रैंकिंग में वाराणसी 18वें स्थान पर है। पिछली बार 22वें स्थान पर रहा। पूर्वांचल के लिए खुशी की बात है कि पहली बार शीर्ष पर अमेठी, कासगंज, गाजियाबाद, चित्रकुट, फर्रूखाबाद, बागपत, हरदोई, महोबा के साथ मऊ जनपद शीर्ष पर है। नौ जिले शीर्ष पर हैं। आइजीआरएस पोर्टल की रैकिंग सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली का पूरी तरह आईना है। शिकायतों के प्रति महकमा कितना सक्रिय व उदासीन है, रैंकिंग स्पष्ट कर दी है।
इस पोर्टल पर किसी भी विभाग से जुड़ी हुई शिकायत की जा सकती है। आमजन में यह धारणा है कि इस पोर्टल पर स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नजर रखते हैं। इस पोर्टल पर स्कूल की फीस, बिजली के बिल, जमीन- जायदाद, महिला हिंसा, धमकी, भू माफियाओं की कारस्तानी, पेंशन आदि तक की शिकायतें आती हैं। पोर्टल पर आने वाली शिकायतें आनलाइन संबंधित विभाग को चली जाती है। निस्तारण होने पर इसकी रिपोर्ट भी शिकायत के साथ लगानी अनिवार्य होती है। शिकायत तय समय पर निस्तारण न करने पर उक्त विभाग को डिफाल्टर की श्रेणी में रखा जाता है। साथ ही कार्रवाई भी तय होती है। पिछली बार पांच अफसरों से जवाब तलब हुआ था।