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वाराणसी में दोपहर तक चली बच्‍चों की क्लास, शाम को गिर पड़ी विद्यालय भवन की छत

शासन की ओर से बार-बार ध्वस्तीकरण का निर्देश के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवनों का अस्तित्व अब भी बना हुआ है। जनपद के तमाम विद्यालयों में 75 से अधिक भवनों को विभागीय स्तर पर जर्जर घोषित किया जा चुका है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 11:44 AM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 11:44 AM (IST)
वाराणसी में दोपहर तक चली बच्‍चों की क्लास, शाम को गिर पड़ी विद्यालय भवन की छत
बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवनों का अस्तित्व अब भी बना हुआ है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। शासन की ओर से बार-बार ध्वस्तीकरण का निर्देश के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवनों का अस्तित्व अब भी बना हुआ है। जनपद के तमाम विद्यालयों में 75 से अधिक भवनों को विभागीय स्तर पर जर्जर घोषित किया जा चुका है। इसके बावजूद ध्वस्त ऐसे भवनों को ध्वस्त करना तो दूर उनमें कक्षाएं भी चलाई जा रही हैं। इसी प्रकार शनिवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। कंपोजिट विद्यालय (खोजवां-भदैनी) के प्रथम तल की छत शाम को अचानक भरभराकर गिर गई। यह संयोग ही था कि भवन की छत शाम को उस समय गिरी, जब विद्यालय में एक भी बच्चे व शिक्षक मौजूद नहीं थे। अन्यथा किसी अनहोनी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता था।

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यह दो मंजिले इस विद्यालय के दस कमरों में पांच कक्ष ही ठीक है। वहीं पांच कमरे पूरी तरह से जर्जर है। कभी भी गिरने की संभावना जताई जा चुकी है। इसके बावजूद इस विद्यालय में खोजवां शाखा के बच्चों को भी स्थानांतरित किया गया है। पहली मंजिल पर कक्षा एक से पांच व दूसरी मंजिल पर कक्षा छह से आठ तक की कक्षाएं चलती हैं। कक्षा एक से आठ तक कुल 180 बालक व बालिकाएं पंजीकृत हैं। वहीं विद्यालय के उत्तर व पश्चिम भाग में नगर निगम ने 15 दुकानें किराए पर आवंटित किया है। स्थानीय लोगों ने विद्यालय के ऊपरी मंजिल के कमरे की छत गिरने की सूचना शिवाला में रहने वाली हेडमास्टर साधना राय को दी। सूचना मिलते ही आनन-फानन में हेडमास्टर विद्यालय पहुंची। उन्होंने तत्काल विद्यालय भवन का कक्ष खोल का मौका मुआयना किया। साथ इसकी सूचना बेसिक शिक्षा अधिकारी सहित खंड शिक्षा अधिकारियों को भी दी। इसके बावजूद देर शाम तक कोई भी शिक्षा अधिकारी मौके पर निरीक्षण करने नहीं पहुंचा।

जागरण ने किया था आगाह : जर्जर भवनों के संबंध में दैनिक जागरण ने पांच जुलाई की अंक में ‘जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण का आदेश फाइलों में दफन‘’ नामक शीर्षक से बेसिक शिक्षा विभाग को आगाह कराने का भी प्रयास किया था। इसके बावजूद विभागीय स्तर पर सुस्त कार्रवाई के चलते अब भी जर्जर भवन अस्तित्व में बने हुए हैं।

रोशननुमा डिजाइन वाले कमरों को किया ध्वस्त : शासन के निर्देश पर परिषदीय विद्यालयों में जर्जर भवनों को चिन्हित करने के लिए बीएसए ने तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी। समिति ने जनपद में 250 भवन जर्जर चिन्हित किए गए थे। इसमें ज्यादातर भवन रोशननुमा डिजाइन शामिल है। रोशननुमा डिजाइन के कमरे वर्ष 2001 से 2004 के बीच जनपद के 154 विद्यालयों में बनवाए गए थे। इसकी गुणवत्ता बेहद खराब थी। वहीं इसकी डिजाइन भी ठीक नहीं थी। लिहाजा कमरों की छत एक दशक में ही बरसात में टपकने लगी। रखरखाव के अभाव में यह भवन धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गया। किसी घटना-दुर्घटना की आशंका को देखते हुए रोशननुमा डिजाइन वाले कमरों में ताला बंद कर दिया है। अब इन कमरों में पठन-पाठन नहीं होता है लेकिन विद्यालय परिसर में होने के कारण दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। इसे देखते हुए शासन ने इन्हें ध्वस्त करने की मंजूरी दे दी थी। शासन की स्वीकृति मिलने के बाद जनपद में 175 भवनों को ध्वस्त कराया जा चुका है। वहीं 75 भवनों को गिराने के लिए टेंडर का पेच फंस हुआ है। विभागीय लेटलतीफी के कारण अब तक इन भवनों को ध्वस्त करने के लिए टेंडर नहीं हो सका है।

बोले अधिकारी : ‘कंपोजिट विद्यालय (खोजवां) के प्रथम तल की छत गिरने की सूचना मिली है। तत्काल बीईओ से निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा गया। जनपद में 75 भवन अब भी जर्जर हैं। इनके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई काफी पहले से ही चल रही है। पांच लाख रुपये से अधिक खर्च आने के कारण इस संबंध में शासन से दिशा-निर्देश मांगा गया है। साथ ही जर्जर भवनों का एक बार फिर नए सिरे से सर्वे कराने का निर्णय लिया गया है। -राकेश सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी। 


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