डीजल चोरी के बाद अब लोकेशन में भी खेल, तार काटने वाली मिली मात्र तीन बसें
वाराणसी में नवंबर में रोडवेज प्रशासन ने बड़े जोर शोर से सिटी बसों में जीपीएस लगाकर लोकेशन ढूंढने की कवायद शुरू की गई थी।
वाराणसी,जेएनएन। नवंबर में रोडवेज प्रशासन ने बड़े जोर शोर से सिटी बसों में जीपीएस लगाकर लोकेशन ढूंढने की कवायद की गई थी। इस काम के लिए बीएचयू आइआइटी की टीम को जिम्मा सौंपा गया था। योजना की शुरुआत से जीपीएस लगाने और बसों की लोकेशन छिपाने के लिए तार काटने वाले चालकों को दंडित करने की बात हो रही लेकिन जमीन पर अभी तक कुछ नहीं। अगर दो माह का रिकार्ड देखा जाए तो मात्र तीन बसें ही चिन्हित हो पाई हैं। सर्वर खराब होने के चलते उनकी सूची कार्रवाई के लिए विभाग को नहीं दी गई है। 130 सिटी बसों में जीपीएस लगाने के लिए ऐलान तो काफी पहले हो चुका था। धरातल पर मात्र 40 बसों में ही जीपीएस लग पाया है। सर्वर खराब होने से पूरी प्रक्रिया बेपटरी होने के कारण अभी भी बसों की निगरानी दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है।
कंट्रोल रूम में नहीं तैनात हो पाई तकनीकी टीम : काशी डिपो में बसों को ट्रैक करने के लिए खोले गए कंट्रोल रूम में अभी तक तकनीकी टीम के सदस्यों की तैनाती नहीं हो पाई है। यहां डिपो कर्मचारियों की ड्यूटी तो लग रही है लेकिन तकनीकी टीम न होने से बसों को ट्रैक करने का कार्य नहीं हो पा रहा है।
सिटी बस डिपो में चस्पा हुआ नोटिस : सिटी बस के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक एसएन पाठक ने बताया कि डिपो में नोटिस लगाने के साथ ही चालकों को जीपीएस तार न काटने की हिदायत दी जा चुकी है। कंपनी द्वारा सर्वर खराबी का हवाला देते हुए कार्रवाई के लिए चालकों की सूचि नहीं दी गई है। जैसे ही कोई आरोपित चालक पकड़ में आएगा विभाग द्वारा 1000 रुपये अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी। तकनीकी जिम्मा संभाल रहे और डिवाइस लगाने का काम देखने वाले आइआइटी बीएचयू के छात्र हर्षित पांडेय ने बताया कि सर्वर खराब होने के साथ ही भुगतान न होने के चलते अन्य बसों में जीपीएस नहीं लग पाए हैं। जल्द ही उन्हें सभी 130 बसों में लगा लिया जाएगा।