वाराणसी के जीजीआइसी में स्थापित होगा कोरस, भू-स्वामित्व योजना को मिलेगी गति
भू-स्वामित्व योजना को रफ्तार देने के लिए जनपद में पहला कांटिन्यूअसली आपरेटिंग रेफरेंस स्टेशन (कोरस) जीजीआइसी मलदहिया में स्थापित होगा। जमीन चिह्नित कर प्रशासन ने पांच गुणे पांच वर्गमीटर जमीन उपयोग के लिए अनुमति दे दी है। स्टेशन के निर्माण के बाद भू-स्वामित्व योजना को गति मिलेगी।
वाराणसी, जेएनएन। भू-स्वामित्व योजना को रफ्तार देने के लिए जनपद में पहला कांटिन्यूअसली आपरेटिंग रेफरेंस स्टेशन (कोरस) जीजीआइसी, मलदहिया में स्थापित होगा। जमीन चिह्नित कर प्रशासन ने पांच गुणे पांच वर्गमीटर जमीन उपयोग के लिए अनुमति दे दी है। स्टेशन के निर्माण के बाद भू-स्वामित्व योजना को गति मिलेगी। इस काम में लगी सर्वे आफ इंडिया की टीम से जुड़े लोगों का कहना है कि इस स्टेशन के स्थापित होने के बाद ड्रोन से जमीनों के सर्वे में तेजी आएगी। निरंतर आपरेटिंग स्टेशनों का यह एक नेटवर्क है। इस स्टेशन का हाइक्वालिटी नेटवर्क ड्रोन को सटीक मूल्यांकन में मदद पहुंचाएगा। स्टेशन सीधे देहरादून स्थित मुख्य स्टेशन के सैटेलाइट के माध्यम से संचालित होगा। इस स्टेशन पर एक पांच से छह मीटर का लंबा एंटीना लगेगा। विशेषज्ञों की टीम इसे आपरेट करेगी।
पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद पूरे जिले में योजना प्रभावी
भू-स्वामित्व योजना के पायलट प्रोजेक्ट के तहत राजातालाब तहसील अंतर्गत सेवापुरी ब्लाक के नौ गांव देवापुरकला, रानिक्स, भोरखुर्द, किन्नूपुर, हित्तापुर, वीरमपुर, महराजपुर, मड़ईया व रसूलहा को लिया गया है। ड्रोन से सर्वे का कार्य पूरा कर आबादी की जमीन पर रहने वाले लगभग 3600 परिवारों को मालिकाना हक देने की तैयारी पूरी कर ली गई है। दो अक्टूबर को प्रधानमंत्री की ओर से आनलाइन कुछ लोगों को दस्तावेज यानी घरौनी सौंपकर इसका शुभारंभ कर दिया जाएगा। इसके पश्चात अन्य सभी को तहसील प्रशासन खतौनी की ही तरह का दस्तावेज घरौनी सौंप देगा। दूसरी तरफ पायलट प्रोजेक्ट का कार्य पूर्ण करने के बाद जिले के राजातालाब समेत अन्य तहसीलों में भी इस योजना को प्रभावी कर दिया जाएगा। इसके लिए शासन से हरी झंडी दी जा चुकी है और तैयारियां शुरू हैं। फार्म भरने, जमीन चिह्नित करने समेत अन्य कार्यों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
दस्तावेज मिलने के बाद कई प्रकार की सुविधा
आबादी की जमीन पर बसने वालों के पास अभी तक अपनी जमीन का मूल दस्तावेज नहीं था। इसकी वजह से लोगों को बैंक से लोन समेत तमाम सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता था, इतना ही नहीं इनकी जमीन को भू-माफिया बरगला कर हड़पते भी रहते थे। दस्तावेज न होने के कारण जमीन का मूल्य निर्धारित नहीं हो पाता था। अब ऐसे लोगों को मालिकाना हक मिलेगा। दस्तावेज के रूप में घरौनी (खतौनी की तरह) मिलेगी।
भू-स्वामित्व योजना को प्रभावी करने में इससे गति मिलेगी
सर्वे आफ इंडिया की टीम को कोरस स्टेशन की स्थापना के लिए जीजीआइसी में जमीन चिह्नित की गई थी। इस पर निर्माण को अनुमति दे दी गई है। भू-स्वामित्व योजना को प्रभावी करने में इससे गति मिलेगी।
-रणविजय सिंह, एडीएम प्रशासन