नुकसानदेह है बच्चों की आउटडोर गेम से दूरी, इन उपायों को अपनाकर बच्चों को दें बेहतर स्वास्थ्य
आंख खोलते ही बच्चे टेलीविजन मोबाइल देख रहे हैं जो उन्हें बहुत ही आकर्षक लगता है।
वाराणसी, जेएनएन। आंख खोलते ही बच्चे टेलीविजन, मोबाइल देख रहे हैं, जो उन्हें बहुत ही आकर्षक लगता है। मगर यह नुकसानदेह है। वे खेलने के लिए बाहर नहीं निकलते। इससे मोटापा बढ़ जाता है, जो कई तरह की बीमारियों की जड़ है। युवावस्था में ही हार्ट-अटैक, बीपी, डायबिटीज, ब्रेन स्ट्रोक यहां तक कि कैंसर की भी संभावना बढ़ जाती है। यह कहना है वरिष्ठ नवजात सर्जन पद्श्री डा. सरोज चूड़ामणि गोपाल का। दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में उन्होंने पाठकों की समस्याएं सुनी और उचित परामर्श भी दिए। बताया कि अधिक टेलीविजन देखने अथवा मोबाइल पर ज्यादा समय देने से आंख की रोशनी में दिक्कत तो होती ही है, साथ ही बच्चों की एकाग्रता पर भी प्रभाव पड़ता है। नतीजतन पढ़ने में उनका मन नहीं लगता। आउटडोर गेम्स न खेलने से मानसिक व शारीरिक वृद्धि पर भी असर पड़ता है। बच्चों का शारीरिक विकास तेजी से होता है इसलिए उन्हें अतिरिक्त कैल्शियम की जरूरत होती है, जिसकी पूर्ति सामान्य दूध से नहीं हो पाती। ऐसे में उनको कैल्शियम की सिरप देना ठीक रहता है। उन्हें पौष्टिक आहार दिया जाए और फास्ट फूड से दूर रखा जाए।
बोतल से दूध पिलाने की आदत छोड़ें -डा. सरोज के मुताबिक छह माह तक शिशु को मां का दूध ही पिलाएं। बोतल से दूध पिलाने की आदत न डालें। यदि पड़ गई है तो यह आदत छुड़ाएं। इससे जहां डायरिया की संभावना रहती है, वहीं बच्चा दूध पीकर ही पेट भर लेगा और खाना नहीं खाएगा। इससे कब्ज की समस्या होगी और मल त्यागने में परेशानी होगी। भूख भी कम लगेगी। ऐसे में कई बार बच्चा कुपोषण का शिकार भी हो जाता है। बच्चों को बोलने व खेलने के लिए प्रेरित करते रहें। इससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास बेहतर हो सकेगा। बच्चों को मोटापे से बचाएं
-डा. सरोज के अनुसार खेल-कूद में पीछे रहने वाले व जंक फूड खाने वाले बच्चों में मोटापे की समस्या अधिक रहती है। इसलिए उन्हें खेल-कूद के लिए प्रेरित करें और जंक फूड की आदत न डालें। यह कई बीमारियों की जड़ है। इससे मधुमेह होने का खतरा भी बना रहता है।
संक्रमण से बचाएं - खाना खाने से पहले हाथ को अच्छी तरह धो लें। फिल्टर पानी पीएं। कई जगहों पर स्वच्छ पानी की सप्लाई न होने से पीलिया, आत्रशोथ और बुखार के मामले सामने आते हैं। इन दिनों बच्चों में हेपेटाइटिस के मामले भी बढ़ रहे हैं। इसका कारण स्वच्छ खान-पान का नहीं होना भी है।
कद नहीं बढ़ने के हैं कई कारण - डा. सरोज ने कहा कि बच्चों में कद नहीं बढ़ने के कई कारण हैं। उनका स्वास्थ्य, कद, हर चीज उसके खाने पर निर्भर करता है। जितना अच्छा खान-पान होगा, उतना बेहतर बच्चे का विकास होगा। भोजन के साथ बच्चों को मौसमी फल जरूर दें।
इन्होंने पूछे सवाल
-चार महीने की बेटी है, शाम के समय बहुत रोती है। -शानम रिजवी, गंगा नगर कालोनी
शाम के समय बच्चे बाहर निकलना चाहते हैं, घूमना चाहते हैं। थोड़ा टहलाएं, बच्ची शांत हो जाएगी।
- बेटी 14 साल की है। चावल खाने के बाद पेट में दर्द होने लगता है। यह समस्या करीब दो साल से बनी हुई है। -राशिद रजा, गंगानगर कालोनी
यह एलर्जी का लक्षण लग रहा है। चावल से दिक्कत है तो उसे न दें। दस-पंद्रह दिन में आराम न मिले तो विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
- साढ़े पांच साल की बच्ची है। स्कूल जाने के समय रोने लगती है। चिड़चिड़ी भी हो गई है। -लखेंद्र पाल, नक्खीघाट
मेंटैट सिरप एक-एक चम्मच सुबह, दोपहर, शाम को दें। इससे स्मरण शक्ति बढ़ेगी और मन को भी शांत करेगा। स्कूल में पैरेंट-टीचर मीटिंग में जरूर जाएं और अपनी बच्ची की एक्टिविटी पर ध्यान दें।
- सर्दियों में बच्चों को जुकाम की दिक्कत रहती है। क्या करना चाहिए। -प्रतिमा पांडेय, शिवपुर
सरसों तेल में अजवाइन डालकर मालिश करें। सर्दी लग भी जाए तो विक्स वेपोरव लगाएं। आराम मिलेगा।
-नाती के सिर पर पपड़ी की तरह रूसी जमा है। निकालने पर ब्लड भी आ जाता है। -रामललित पांडेय, अखरी
एक ढक्कन सेवलॉन गर्म पानी में मिलाकर सिर धोएं। सूखने पर बेटनोवेट मरहम लगाएं। आराम न मिले तो स्किन विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं।
- दस साल का बेटा है। महीने में दो-तीन बार बेड पर ही पेशाब कर देता है। -आकांक्षा वर्मा, नाटी इमली
बच्चे को एक बार बीएचयू के बाल शल्य विभाग की ओपीडी में दिखाएं।
- पांच साल का बेटा है। गुप्त अंग पर चमड़ी वाले स्थान पर लालिमा है और खुजली भी होती है। खोलने पर ब्लड आ जाता है। -आभा पाठक, चितईपुर
स्किन विशेषज्ञ को दिखाएं। दवा से ठीक न होने पर बीएचयू के बाल शल्य चिकित्सालय लाएं। यहां छोटी सर्जरी करके समस्या का निदान कर दिया जाएगा।
- पांच साल की बच्ची है। पेट साफ नहीं रहता। बराबर दर्द की शिकायत करती है। सर्दी-जुकाम भी है। बहुत कमजोर हो गई है। -शेषनाथ सिंह, शिवपुर
सर्दी-जुकाम ठीक होने में सात से आठ दिन लग जाते हैं। ठंड से बचाव पर विशेष ध्यान दें। आयुर्वेद के अनुसार पानी में अजवाइन मिलाकर गर्म कर लें। पीने के लिए उसे यही पानी दें। सोते समय विक्स लगाएं। आराम होगा।
- बेटा पांच साल का है। बचपन से ही पेशाब का रास्ता नहीं खुला। हालांकि इससे पेशाब करने में दिक्कत नहीं होती। दूसरा बेटा 12 साल का है, उसे भी यही समस्या है। -प्रभात सिंह, कोटवां
छोटी सर्जरी करनी पड़ सकती है। गुरुवार को बीएचयू अस्पताल के बाल शल्य चिकित्सालय के ओपीडी कमरा नंबर दो में ले जाकर दिखाएं।
- चार साल का बच्चा है। पोटी करने बैठता है तो उठ नहीं पाता। दूध ही पीता है, खाना नहीं खाता। -निर्मला देवी, रामनगर
कड़ा पखाना होने से मल द्वार के रास्ते में दर्द रहता है। इसी वजह से वह उठना नहीं चाहता। छह माह के बच्चे को दूध जरूरी रहता है। बोतल से दूध बिल्कुल न पिलाएं। बच्चे इसे इंज्वाय करते हैं। रोटी-चावल, दाल कम खाएंगे, तो पखाना कड़ा होगा। कब्ज की दिक्कत होगी। बाद में एनिमा भी देना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए रोटी, दाल, चावल खिलाएं। कैल्शियम की सिरप सुबह-शाम एक-एक चम्मच पिलाएं। दिक्कत नहीं रहेगी।
-दो साल का बेटा व सात साल की बेटी हैं। बहुत दुबले-पतले हैं। खाना कम खाते हैं। -आशुतोष, दिल्ली
पड़ोसियों से दोस्ती करें। उनके बच्चों को आप खिलाएंगे तो वे आपके बच्चों के खान-पान का ख्याल करेंगे। बच्चों के लिए अलग से थाली लगाएं। शुरू में खाने की थोड़ी बर्बादी करेंगे। इसके बाद बच्चे खाना सीख जाएंगे। उनकी पाचन शक्ति बड़ों से बेहतर होती है। इसलिए भोजन के साथ मौसमी फल जरूर खिलाएं।