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बच्चे 'शून्य', फिर भी अस्तित्व में विद्यालय, 35 ऐसे मान्यता प्राप्त विद्यालयों में एक भी पंजीकृत नहीं

वाराणसी के करीब 35 ऐसे मान्यता प्राप्त विद्यालय हैं जिनमें एक भी बच्चे नहीं है। पंजीकृत बच्चों की संख्या शून्य है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 10:15 AM (IST)
बच्चे 'शून्य', फिर भी अस्तित्व में विद्यालय, 35 ऐसे मान्यता प्राप्त विद्यालयों में एक भी पंजीकृत नहीं

वाराणसी, जेएनएन। बेसिक शिक्षा विभाग में मान्यता की 65 फाइलें पिछले एक साल से लंबित है। विद्यालय के प्रबंध मान्यता के लिए बीएसए कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। दूसरी ओर जनपद के करीब 35 ऐसे मान्यता प्राप्त विद्यालय हैं जिनमें एक भी बच्चे नहीं है। पंजीकृत बच्चों की संख्या 'शून्य' है। इसके बावजूद इनका अस्तित्व बना हुआ है। बीएसए दफ्तर के रिकार्ड में इन विद्यालयों का नाम दर्ज है। जबकि नियमानुसार लगातार तीन सत्र में बच्चों की संख्या 'शून्य' होने पर मान्यता समाप्त करने का प्रावधान है।

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जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग से करीब 1500 विद्यालय मान्यता प्राप्त है। इसमें प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल दोनों स्तर के विद्यालय शामिल है। वहीं मान्यता पत्र जारी करने के बाद विभागीय स्तर पर इन विद्यालयों के मानीटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि निजी विद्यालयों को भी 'यू डायस' कोड बीएसए कार्यालय ही जारी करता है लेकिन निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों छात्रसंख्या की जानकारी  बीएसए कार्यालय को नहीं है। जिला समन्वयक का कहना है कि जनपद में कुछ विद्यालयों में ऐसे है जिनमें एक भी बच्चे पंजीकृत नहीं है। हालांकि इन विद्यालयों की सूची कार्यालय के पास नहीं है। बीएसए राकेश सिंह का कहना है कि ऐसे विद्यालयों की सूची तैयार की जा रही है।

गली-गली विद्यालय

बेसिक शिक्षा विभाग में पहले मान्यता का मानक काफी लचीला था। पांच कमरे में प्राइमरी स्तर की आठ कमरे में जूनियर हाईस्कूल की मान्यता मिल जाती है। वह भी रजिस्टर्ड किराये के भवन पर। इसके चलते पिछले दो दशकों में गली-गली विद्यालय खुल गए।

अब मान्यता लेना आसान नहीं

बेसिक शिक्षा परिषद से जूनियर हाईस्कूल स्तर के विद्यालय मान्यता लेना अब आसान नहीं रहा। परिषद ने किरायेदारी प्रथा समाप्त कर दी है। अब विद्यालय सोसाइटी के नाम से भूमि-भवन होने की ही परिषद मान्यता प्रदान करेगा।


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