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मचा हड़कंप, वाराणसी और मीरजापुर के शिशु गृह से 25 बच्चे लापता

वाराणसी के लक्ष्मी शिशु गृह व मीरजापुर के महादेव शिशु गृह से बीते तीन साल में 25 बच्चों के लापता होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जबकि कई की जांच जारी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 09:34 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 01:44 PM (IST)
मचा हड़कंप, वाराणसी और मीरजापुर के शिशु गृह से 25 बच्चे लापता

वाराणसी [विकास बागी] : वाराणसी के लक्ष्मी शिशु गृह व मीरजापुर के महादेव शिशु गृह से बीते तीन साल में 25 बच्चों के लापता होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सर्वाधिक बच्चे मीरजापुर से लापता बताए जा रहे। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वाराणसी व मीरजापुर के डीएम से जांच कर 15 सितंबर तक रिपोर्ट देने को कहा है। वाराणसी के डीएम सुरेंद्र सिंह ने प्रकरण की जांच का जिम्मा एडीएम सिटी को सौंपा है। 

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मंत्रालय से आई चिटठी : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अपर सचिव अजय तिर्की की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वाराणसी के लक्ष्मी शिशु गृह की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार उनके यहां 15 शिशु थे। बीते 16 मार्च को जब लक्ष्मी शिशु गृह का भारत सरकार की टीम ने निरीक्षण किया तो वहां आठ बच्चे ही मिले जबकि सात नहीं थे। उन गायब सात बच्चों के बारे में एडाप्शन से संबंधित कोई सूचना भी नहीं थी। 

जांच दल ने किया था निरीक्षण : केंद्रीय मंत्रालय की टीम ने उसी दिन मीरजापुर के महादेव शिशु गृह का भी निरीक्षण किया। वहां 38 बच्चों के होने की जानकारी मुहैया कराई गई थी लेकिन निरीक्षण के दौरान वहां सिर्फ 15 बच्चे ही मिले। संस्था द्वारा गैरमौजूद 17 बच्चों की कोई ठोस जानकारी मुहैया नहीं करा पाया। पत्र में वाराणसी व मीरजापुर के डीएम से से कहा गया है कि दोनों ही शिशु गृह की गहराई से छानबीन कर शिशु गृह से लापता बच्चों का पता लगाकर रिपोर्ट दें। 

फिलहाल रद है मान्यता : जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रवीण त्रिपाठी के अनुसार केंद्रीय टीम के निरीक्षण के दौरान मिली खामियां के बाद ही लक्ष्मी शिशु गृह की मान्यता रद कर दी गई थी और वहां मौजूद बच्चों को लखनऊ भेज दिया गया था।

महादेव शिशु गृह में छह बच्चों की मौत : मीरजापुर में संचालित महादेव शिशु गृह के बारे में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। 1 अप्रैल 2017 से फरवरी 2018 के बीच संस्था में कुल छह बच्चों शांभवी, मारिया, हनी, शुभम, परी और आशीष की मौत हो चुकी है। रहस्यमय परिस्थितियों में हुई इन मौतों के मामले में जांच भी चल रही है। 

कारा के तहत चल रहे थे शिशु गृह : केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के तहत सरकार जिलों में निजी स्वयंसेवी संस्थाओं से जिले में शिशु गृह का संचालन कराती है। इन शिशु गृहों में नवजात से लेकर छह साल तक के अनाथ, लावारिस हाल में मिले बच्चों को रखा जाता है।


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