काशी आनंद : काशी में गंगा तट पर बरसे झारखंड के इंद्रधनुषी रंग
पर्व- उत्सवों के रसिया शहर बनारस में गंगा तट रविवार की शाम झारखंड की कलाओं ने आकार लिया तो लगा मानो इंद्रधनुषी रंग गंगा तट पर बरस रहे हों।
प्रमोद यादव, वाराणसी : पर्व- उत्सवों के रसिया शहर बनारस में गंगा तट रविवार की शाम झारखंड की इंद्रधनुषी रंगत से निखर उठा। एक ओर बाबा दरबार तो दूसरी ओर गंगधार, इन दो दिव्य स्थलों के बीच डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर अनूठे प्रांत की सांस्कृतिक विविधता के ठाट ने हर एक को दंग किया। बनारस में समाहित संपूर्ण भारत के लघु स्वरूप को उकेरने के खास उद्देश्य से दैनिक जागरण की ओर से नैत्यिक आयोजन भारत आनंद-काशी आनंद में 12वें दिन अनूठे प्रांत के कलाकारों ने यह रंग उड़ेला और दिव्य सांस्कृतिक मेला सजा दिया। घाट की सीढि़यों पर बैठ कर बनारसियों की साथ दूर देश-प्रदेश से आए सैलानियों ने भी इस दिव्य नजारे का आनंद लिया। इसमें दुनिया के पुराने शहर के असल स्वरूप को समझा-जाना और हृदय की कोटरों में सहेज लिया। चेहरे पर चमक, मंत्र मुग्ध भाव भंगिमा, पैरों की थिरकन और तालियों की तड़क ने संतुष्टि के भावों का सहज ही इजहार किया।
थाप संस्था के संयोजन में झारखंड के कलाकारों ने मानभूमि छऊ नृत्य में महिषासुर मर्दिनी के भाव सजाए। देवी जगदंबिका भवानी और महिषासुर के संग्राम को मंच पर जीवंत किया। ढोल, नगाड़ा, धुम्सा, खर्का, मोहुरि, शहनाई समेत वाद्ययंत्रों की धुन-तान पर सामरिक भाव-भंगिमा, झांप, उल्फा, चूड़ा कंपन, चाल का समावेश कर रोमांचित किया। नटराज कला केंद्र के सचिव अंतरराष्ट्रीय छऊ कलाकार प्रभात महतो की परिकल्पना को जीतराई हंसदा के निर्देशन में कलाकारों ने आकार दिया। जयराम महतो, सुचाद महतो, रामदेव महतो, जटल कालिंदी, अजीत महतो, घासीराम महतो, जगदीश चंद्र महतो, सीताराम महतो, मधुसूदन महतो, धर्मदेव महतो, गुलाप सिंह मुंडा ने प्रस्तुति दी। जगदीश चंद्र महतो ने छऊ के भावों से गणेश वंदना की। इससे पहले बापुन मुंडा, लक्ष्मण टुडू, मनसा मूर्मू, पानो मूर्मू, रीना सरदार ने जनजातीय संथाली नृत्य से हरे-भरे झारखंड की रीति रिवाज का अहसास कराया। खुले में शौच के खतरे बताते और लोगों को जागरूक करते नाट्य से स्वच्छ भारत श्रेष्ठ भारत का संदेश दिया। इसमें सोमनाथ मार्डी, मनसा मूर्मू, बापुन मुंडा, लक्ष्मण टूडू, पामो मूर्मू व रीना सरदार ने अभिनय किया। प्रकृति की गोद में पूरी अल्हड़ता के साथ पुष्पित -पल्लवित संस्कृति का गुलदस्ता सजाकर गंगा मइया को समर्पित कर दिया। इसकी सुवास से पूरा इलाका महमह हुआ और हर एक को भाव विभोर कर दिया। थाप के संस्थापक सह अध्यक्ष अवनीश श्रीवास्तव, संरक्षक रमेश श्रीवास्तव व मनीष श्रीवास्तव ने संयोजन किया।