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आस्था का पर्व : पूजन में संझवत आज, नहाय खाय के साथ सूर्य षष्ठी का श्रीगणेश

आरोग्य व मंगलकामना के लोकपर्व सूर्य षष्ठी यानी डाला छठ का रविवार को नहाय खाय की रस्म के साथ शुभारंभ हो गया, भगवान भास्कर को किया जाएगा अघ्‍र्य समर्पित।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 11:24 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 08:30 AM (IST)
आस्था का पर्व : पूजन में संझवत आज, नहाय खाय के साथ सूर्य षष्ठी का श्रीगणेश
आस्था का पर्व : पूजन में संझवत आज, नहाय खाय के साथ सूर्य षष्ठी का श्रीगणेश

वाराणसी (जेएनएन) । आरोग्य व मंगलकामना के लोकपर्व सूर्य षष्ठी यानी डाला छठ का रविवार को नहाय खाय की रस्म के साथ शुभारंभ हो गया। घरों की साफ-सफाई, घाट पर स्थान की छेकाई और बाजार में खरीदारी पर लोगों का जोर रहा। बाजारों में उमड़ी भीड़ लोकमानस से जुड़े आस्था का पर्व दहलीज पर आने का स्पष्ट संकेत देने लगी। 

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चार दिनी व्रत-पर्वोत्सव के विधान के तहत व्रती महिलाओं ने पर्व की पहली रस्म के अनुसार स्नानादि से निवृत्त होकर छठ माता का ध्यान किया। व्रत संकल्प के आहार शुद्धि की दृष्टि से जीरे से बघारी लौकी की सब्जी के साथ नए चावल का भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण किया। रस्म रिवाज निभाने के साथ महिलाएं दिन भर पर्व की तैयारियों में जुटी रहीं। धुले गेहूं को पिसवाने, दउरी खांची, फल-फूल जुटाने से लेकर सूर्यदेव की पूजा-अघ्र्य के लिए नदी-सरोवर के किनारे अपनी-अपनी बेदी छेकने जैसे काम युद्ध स्तर पर निबटाए। बाजारों व फलों की मंडियों में बढ़ी चहल-पहल से भी पर्व की रंगत छलकने लगी। सोमवार को दिन भर का उपवास और शाम को दाल की पूड़ी व गुड़ की बखीर खाकर व्रती महिलाएं संझवत (खरना) की परंपरा निभाएंगी। इसके साथ ही शुरू हो जाएगा 36 घंटे का कठिन निराजल व्रत। मंगलवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पर्व का पहला अघ्र्य दिया जाएगा और बुधवार की सुबह उदयगामी भगवान भास्कर को अघ्‍र्य समर्पित कर पारन किया जाएगा।  

बिहार की माटी से खड़े हुए पर्व को बनारस ने अपनाया : बनारस का मिजाज ही है यह कि जो भी इसके पास खुले मन से आया बाबा की नगरी ने दोनों बांहे फैलाकर गले से लगाया। ऐसा ही बिहार की माटी से निकले लोक मानस से जुड़े आस्था पर्व के साथ भी हुआ। छठ  की शाम चाहे जिस ओर निकल जाइए, बिहार में होने का अहसास पाएंगे। दरअसल, इस पर्व ने बनारस ही नहीं गोरखपुर, देवरिया, मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, मीरजापुर, इलाहाबाद ही नहीं दिल्ली, मुंबई व कोलकाता में भी आस्थावानों की आस्था-श्रद्धा से जुड़ता चला गया है। खास कर सीडी व भोजपुरी टीवी चैनलों ने इसका अधिक प्रसार किया है। मुख्य पर्व के दिन घाट सरोवरों से जुड़ गयी हर राह को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। 


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